नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी की वजह से फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह आठ महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी, 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर 6.07 प्रतिशत रही। यह लगातार दूसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
रिजर्व बैंक को सरकार की तरफ से मुद्रास्फीति की दर को छह प्रतिशत के भीतर सीमित रखने का दायित्व मिला हुआ है। केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
इसके पहले जनवरी, 2022 में भी खुदरा मुद्रास्फीति की दर 6.01 प्रतिशत रही थी। वहीं फरवरी, 2021 में यह 5.03 प्रतिशत पर रही थी।
इसके पहले सोमवार को फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के बढ़ने के आंकड़े भी आए। इन आंकड़ों के मुताबिक, थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई।
वहीं सीपीआई आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य उत्पादों की कीमतों में 5.89 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। जनवरी के महीने में यह 5.43 प्रतिशत बढ़ी थी।
अनाज के दाम 3.95 प्रतिशत बढ़े और मांस एवं मछली 7.45 प्रतिशत तक महंगे हो गए। वहीं फरवरी में अंडों के दाम 4.15 प्रतिशत बढ़े हैं।
सब्जियों के दामों में 6.13 प्रतिशत और मसालों में 6.09 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं फलों की कीमतें जनवरी की तुलना में 2.26 प्रतिशत ही बढ़ीं।
ईंधन एवं प्रकाश खंड के उत्पादों के दाम फरवरी में 8.73 प्रतिशत चढ़े लेकिन जनवरी के 9.32 प्रतिशत की तुलना में यह नरमी को दर्शाता है।
आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई को 4.5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया है। वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए यह अनुमान 5.3 प्रतिशत का है। मौजूदा तिमाही के लिए आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत पर रहने की संभावना जताई है।
मई, 2020 से ही रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।
भाषा
प्रेम अजय
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