मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रास्फीति पर आक्रामक रुख अपनाया है तथा आने वाले महीनों में प्रधान ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की।
केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में करने और रुपये को मजबूती देने के लिए शुक्रवार को प्रमुख ब्याज दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। यह मई के बाद से लगातार तीसरी वृद्धि है।
ब्याज दर को महामारी-पूर्व के स्तर तक बढ़ाने के लिए रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इससे पहले 5.40 प्रतिशत रेपो दर आखिरी बार अगस्त, 2019 में थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘भले ही मुद्रास्फीति और वृद्धि के पूर्वानुमानों में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर स्पष्ट रूप से आक्रामक रुख अपनाया है। वृद्धि में विश्वास से मुद्रास्फीति पर तेजी से प्रहार करने को एक मजबूत औचित्य मिलता है।’’
उन्होंने कहा कि इस स्थिति में वर्ष के दौरान आगे 0.50 प्रतिशत की और बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि अगली दो तिमाहियों में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
केंद्रीय बैंक का मानना है कि वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत के स्तर पर रहेगी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 7.1 फीसदी और तीसरी तिमाही में 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति के प्रति आक्रामक रुख अपनाया, जो अभी भी ऊंची बनी हुई है। हालांकि, वृद्धि की गति काफी सकारात्मक है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक आगामी नीतिगत समीक्षा बैठकों में दरों में बढ़ोतरी जारी रखेगा और साल के अंत तक ब्याज दर को 5.75 प्रतिशत तक ले जाएगा।
आरबीएल बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी ठाकुर ने कहा कि बाजार को मोटे तौर पर रेपो दर में 0.50 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद की थी और आगे की परिस्थितियों पर केंद्रीय बैंक की टिप्पणी ज्यादा मायने रखती है।
भाषा पाण्डेय अजय
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