(तस्वीर के साथ)
(राजेश राय)
स्टॉकहोम (स्वीडन), 12 जून (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए गैर-शुल्क बाधाओं का समाधान ढूंढना महत्वपूर्ण है और दोनों पक्ष इन मुद्दों के समाधान के लिए सक्रियता से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता को अंतिम रूप देने के ‘‘काफी’’ करीब हैं।
गोयल ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। आधे से अधिक खंड तैयार हैं। विषय-वस्तु के संदर्भ में, मैं कहूंगा कि हम बाजार पहुंच के लिए करीब 90 प्रतिशत तैयार हैं। जिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया जाना है, वे हैं.. गैर-शुल्क बाधाएं और यूरोपीय संघ तथा भारत के बीच व्यापार को कैसे सहज, आसान व बेहतर बनाया जाए।’’
उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दोनों पक्षों की कंपनियों के लिए कारोबार को सुचारू बनाने के समाधान ढूंढने के लिए सक्रिय रूप से चर्चा कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘ देश जब तक यह नहीं समझते कि व्यापार में अत्यधिक विनियमन एवं बाधाओं का जवाब, जवाबी कार्रवाई से दिया जाएगा तब तक सभी को नुकसान होगा। हम विनियमन को समाप्त करने, विनियमन की उच्च लागत, इन विनियमों के कारण उत्पन्न होने वाली गैर-शुल्क बाधाओं और मुक्त व्यापार में आने वाली बाधाओं का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि हम इस समस्या का बहुत मजबूत समाधान खोज लेंगे।’’
गोयल, स्वीडन की अपनी आधिकारिक यात्रा पर यहां पहुंचे है। इस यात्रा के दौरान वह दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए स्वीडन के अपने समकक्ष तथा कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।
स्वीडन 27 देशों वाले यूरोपीय संघ का सदस्य है।
भारत के मिर्च, चाय, बासमती चावल, दुग्ध, मुर्गी, गोजातीय मांस, मछली, रसायन उत्पाद को यूरोपीय संघ में निर्यात के समय नियमित रूप से उच्च अवरोधों का सामना करना पड़ता है।
कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) पर गोयल ने कहा कि यह उपाय ‘‘ अच्छा नहीं ’’ है क्योंकि यह भी एक तरह का गैर-शुल्क अवरोध है।
उन्होंने कहा कि यदि यह कार्बन कर लगाया गया तो यह भारतीय उद्योग के साथ अन्याय होगा। यदि यूरोपीय संघ ऐसा कोई कदम उठाएगा तो भारत को उसका जवाब देना होगा।
गोयल ने कहा कि एफटीए वार्ता अच्छे माहौल में हो रही है और भारतीय वस्तुओं पर कार्बन कर लगाना ठीक नहीं होगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘ इस मुद्दे पर बातचीत जारी है ताकि इससे निपटने के तरीके खोजे जा सकें। इस पर कुछ अच्छे समाधान निकलेंगे।’’
भारत और 27 देशों के यूरोपीय संघ के बीच आठ साल से अधिक समय के अंतराल के बाद जून 2022 में वार्ता फिर से शुरू हुई। बाजारों को खोलने के स्तर पर मतभेदों के कारण 2013 में यह वार्ता रुक गई थी।
वित्त वर्ष 2024-25 में यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 136.4 अरब अमेरिकी डॉलर (निर्यात 75.75 अरब अमेरिकी डॉलर, आयात 60.65 अरब अमेरिकी डॉलर) था जिससे यह भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। यूरोपीय संघ का बाजार भारत के कुल निर्यात का लगभग 17 प्रतिशत है, जबकि भारत को यूरोपीय संघ का निर्यात उसके कुल निर्यात का नौ प्रतिशत है।
भारत में यूरोपीय संघ के निवेश का मूल्य 117 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जिसमें लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियां भारत में मौजूद हैं। यूरोपीय संघ में भारत के निवेश का मूल्य करीब 40 अरब अमेरिकी डॉलर है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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