नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड का दो साल के लिए पुनर्गठन किया गया है। पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) सुरेश एन पटेल को इसका चेयरमैन नियुक्त किया गया है।
यह धोखाधड़ी के मामलों में शीर्ष बैंक अधिकारियों या वित्तीय संस्थानों की भूमिका की जांच करने वाली समिति है।
बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी सलाहकार बोर्ड (एबीबीएफएफ) का 21 अगस्त, 2025 से दो साल के लिए पुनर्गठन किया गया है। यह बैंक अधिकारियों के लिए ‘सुरक्षा वॉल्व’ के रूप में काम करता है।
एक अधिसूचना में कहा गया है कि बोर्ड के सदस्यों में पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के पूर्व सचिव रविकांत, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक रजनी कांत मिश्रा, भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक आलोक कुमार चौधरी और राष्ट्रीय आवास बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक शारदा कुमार होता शामिल हैं।
नियुक्ति शर्तों के अनुसार, एबीबीएफएफ के चेयरमैन और सदस्यों को फिर से नियुक्ति की जा सकती है। हालांकि, इसके लिए शर्त है कि चेयरमैन और/या सदस्य के रूप में नियुक्ति की कुल अवधि चार वर्ष या 70 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, से अधिक न हो।
बोर्ड को तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ी के मामलों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों के सभी स्तर के अधिकारियों और पूर्णकालिक निदेशकों (पूर्व अधिकारियों और पूर्व पूर्णकालिक निदेशकों सहित) की भूमिका की जांच करने का अधिकार दिया गया है।
अधिसूचना में कहा गया, ‘‘सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक की राशि से संबंधित धोखाधड़ी के सभी मामलों को आपराधिक जांच शुरू करने से पहले सलाह के लिए बोर्ड को भेजेंगे और सक्षम प्राधिकारी ऐसे सभी मामलों में अधिकारियों के शामिल होने के संबंध में एबीबीएफएफ की सलाह पर विचार करेंगे।’’
इसमें कहा गया, ‘‘सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थान यह सुनिश्चित करेंगे कि तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ी के मामले में बोर्ड की सलाह ली गई है और जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराई गई है। जांच एजेंसी ऐसे मामलों में कार्रवाई करते समय बोर्ड की सलाह को ध्यान में रख सकती है।’’
आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भी किसी मामले या तकनीकी मामले को सलाह के लिए बोर्ड को भेज सकता है।
एबीबीएफएफ समय-समय पर वित्तीय प्रणाली में धोखाधड़ी का विश्लेषण भी कर सकता है और धोखाधड़ी से संबंधित नीति निर्माण के लिए आरबीआई और सीवीसी को सुझाव दे सकता है।
सलाहकार बोर्ड आमतौर पर प्रारंभिक संदर्भ प्राप्त होने के एक महीने के भीतर मंत्रालय/विभाग/सीवीसी या जांच एजेंसी (दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान सहित) की तरफ से मांगी गई सलाह दे सकता है।
भाषा रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.