मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने गुरुवार को मौद्रिक नीति पर बैठक में हुए फैसले को लेकर बात की. केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इसका मतलब है कि कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा. यह लगातार 10वीं बार है जब नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया गया है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि जिन भी लोगों ने बैंकों से लोन लिया होगा उन्हें EMI पर राहत के लिए अभी और इंतजार करना होगा.
साथ ही आरबीआई ने मुद्रास्फीति की ऊंची दर के बीच उदार रुख को बरकरार रखा. यानी हाल-फिलहाल नीतिगत दर में वृद्धि की संभावना नहीं है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान 5.3% और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 4.5% पर बरकरार रखा गया.
यह लगातार 10वां मौका है जब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है. इससे पहले 22 मई, 2020 को मांग को गति देने के इरादे से रेपो दर में कमी कर इसे रिकार्ड निचले स्तर पर लाया गया था.
आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि समिति ने रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा है.
उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है और देश मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है.
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