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Saturday, 4 May, 2024
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मंद पड़ती देश की अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए आरबीआई ने खोला खजाना, शेयर बाज़ार में आई तेजी

आरबीआई का 1.76 लाख करोड़ अधिशेष हासिल करने में कामयाब रही सरकार.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने की घोषणा के बाद मंगलवार को शेयर बाजार उछाल के साथ खुला. घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को फिर मजबूत कारोबारी रुझान के बीच प्रमुख संवेदी सूचकांकों में बढ़त का सिलसिला जारी रहा. सेंसेक्स 164 अंकों की बढ़त के साथ 37,658.48 पर खुला जबकि निफ्टी ने 48.70 अंकों की तेजी के साथ 11,106.55 से कारोबार की शुरुआत की. पिछले सत्र में भारतीय शेयर बाजार ने सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किए गए उपायों का जश्न मनाया और सेंसेक्स और निफ्टी ने दो फीसदी से ज्यादा की छलांगें लगाईं.

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 9.48 बजे 69.73 अंकों यानी 0.19 फीसदी की तेजी के साथ 37,563.85 पर कारोबार कर रहा था जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के 50 शेयरों वाला प्रमुख संवेदी सूचकांक निफ्टी 34.20 अंकों यानी 0.31 फीसदी की तेजी के साथ 11,092.05 पर बना हुआ था.

सरकार द्वारा बीते सप्ताह सरचार्ज वापस लेने की घोषणा समेत आर्थिक सुधार उपायों का शेयर बाजार ने दिल खोल कर स्वागत किया है, जिसके बाद मंगलवार को लगातार तीसरे सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त का सिलसिला जारी रहा. उधर, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव कम करने की दिशा में फिर बातचीत की मेज पर आने की कवायद होने से दुनिया के अन्य बाजारों में भी तेजी का रुझान रहा.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दीर्घावधि और अल्पावधि पूंजीगत लाभ अर्थात कैपिटल गेंस पर सरचार्ज में की गई वृद्धि शुक्रवार को वापस लेने की घोषणा की. साथ ही, वित्तमंत्री ने बैंकों की पूंजी बढ़ाने के लिए बैंकों को तत्काल 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी प्रदान करने का एलान किया.

बता दें रिजर्व बैंक में बिमल जालान समिति की सिफारिशों को अमल में लाते हुए सोमवार को रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांष और अधिशेष आरक्षित कोष सरकार को ट्रासंफर करने का फैसला लिया.

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पिछले दिनों जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए ऐलान कर रही थीं तो जानकार का एक ही सवाल था कि ये होगा कैसे ? तो बता दें कि आरबीआई ने सरकार की इस परेशानी पर विराम लगाते हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने की घोषणा कर बाजार में नई जान डाल दी है.

सरकार आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस रगड़े में हार गया जिसमें एक केंद्रीय बैंक के एक गवर्नर की आलोचना भी हुई. कोई तर्क दे सकता है कि केंद्रीय बैंक सरकार की मर्जी से काम करता है. और आरबीआई अधिनियम में इसे अच्छी तरह से स्पष्ट किया गया है. आरबीआई ने अपने बोर्ड की बैठक के बाद घोषणा की कि वह 1.76 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक अधिशेष सरकार को हस्तांतरित करेगा.

केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘अधिशेष हस्तांतरण में वर्ष 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये का आधिक्य प्रावधान शामिल है जिसे आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ईसीएफ) ने चिन्हित किया है और इसे आज केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किया गया.’

आरबीआई द्वारा सरकार को दी जाने वाली सहायता राशि को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि क्या यह महज़ संयोग है कि आरबीआई द्वारा 1.76 लाख करोड़ दिया जा रहा उधार बजट गणना में मिसिंग राशि का कैलकुलेशन है.

यह वित्तीय समझदारी वाला कदम है या फिर आत्म घातक
रणदीप ने यह भी कहा कि क्या यह 1.76 लाख करोड़ भाजपा के दोस्तों को बचाने के लिए उपयोग किया जाएगा?

पिछले साल नवंबर में मसला काफी गरम रहा जब आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर ने हलचल पैदा कर दी. उन्होंने ए. डी. श्रॉफ बयान में कहा, ‘आरबीआई न तो स्वतंत्र और न ही स्वायत्त संस्था है. जो सरकार केंद्रीय बैंक का सम्मान नहीं करेगी उसे कभी न कभी वित्तीय बाजारों का कोप भाजन बनना पड़ेगा.’

आरबीआई अधिनियम में स्पष्ट बताता है-‘केंद्र सरकार समय समय पर केंद्रीय बैंक के गर्वनर के परामर्श के बाद बैंक को ऐसे निर्देश देती है जोकि उसे लगता है कि जनहित में आवश्यक है. ऐसे किसी निर्देश के तहत बैंक के मामलों और कारोबार का सामान्य अधीक्षण और निर्देशन निदेशक मंडल की देखरेख में होगा जो सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है और बैंक द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यो पर लागू हो सकता है.’

यह सरकार को दिए जाने वाले आरबीआई के सालाना लाभांश के अतिरिक्त है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी साल फरवरी में केंद्रीय बैंक से 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम हस्तांतरण किया गया. आरबीआई ने अगस्त 2018 में सरकार को 40,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किया.

यह किसी एक वित्त वर्ष में आरबीआई से सरकार को प्राप्त सर्वाधिक राशि थी जोकि वित्त वर्ष 2016 में प्राप्त 65,896 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2018 में प्राप्त 40,659 करोड़ रुपये से अधिक है.

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