मुंबई, आठ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। पांच सप्ताह में दूसरी बार बढ़ी रेपो दर से आवास, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी।
इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने बिना किसी तय कार्यक्रम के अचानक रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
इसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान अपनाये गये उदार रुख को छोड़ा गया है। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नीतिगत दर में और वृद्धि की जा सकती है। महंगाई दर इस साल की शुरुआत से ही केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू तीन दिन की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ी है और लक्ष्य की ऊपरी सीमा (छह प्रतिशत) से अधिक है। पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में महंगाई के ऊपर जाने का जो जोखिम जताया गया था, वह अब दिखने लगा है।’’
आरबीआई ने महंगाई के 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों में छह प्रतिशत से ऊपर रहने की आशंका को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को एक निश्चित दायरे में रखने के लिए जो जिम्मेदारी दी गई है, उसके तहत यदि यह लगातार तीन तिमाहियों तक उससे ऊपर (छह प्रतिशत) रहती है तो केंद्रीय बैंक को लिखित में सरकार को यह बताना होगा कि वह मुद्रास्फीति को तय लक्ष्य के अनुसार काबू में क्यों नहीं रख पाया। साथ ही उसे कीमत को काबू में लाने के उपायों के बारे में भी सुझाव देना होगा।
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि में संतुलन साधने के लिये आरबीआई उदार उपायों को वापस लेने पर ध्यान देगा क्योंकि नकदी की स्थिति अभी महामारी-पूर्व स्तर से ऊपर है। हालांकि, उदार उपायों को वापस इस रूप से लिया जाएगा, जिससे वृद्धि को लगातार समर्थन मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उदार रुख शब्द को हटा दिया लेकिन हम उदार बने रहेंगे। इससे बाजार के लिये चीजें और साफ होंगी।
हालांकि, मौद्रिक नीति समिति ने आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
खाद्य, ऊर्जा और जिंसों की कीमतें ऊंची बनी हुई है, लेकिन आरबीआई का कहना है कि महंगाई का प्रमुख कारण वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था है। खुदरा मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत पर रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है।
आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है।
दास ने कहा कि मुद्रास्फीति अनुमान में एक प्रतिशत की वृद्धि में 0.75 प्रतिशत योगदान खाद्य वस्तुओं की कीमतों का है। इसकी वजह यूक्रेन युद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध से मुद्रास्फीति का ‘वैश्वीकरण’ हो गया है।’’
चार मई और बुधवार को रेपो दर में वृद्धि से पहले आरबीआई ने लगातार 11 बार ब्याज दर को रिकॉर्ड निचले स्तर चार प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
दास ने कह कि नीतिगत दर में वृद्धि के बावजूद यह महामारी पूर्व के स्तर 5.15 प्रतिशत से नीचे है।
रेपो दर में वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.15 प्रतिशत हो गयी है।
इसके अलावा, विकासात्मक और नियामकीय नीति के तहत आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से जोड़ने का प्रस्ताव किया है। इसका मकसद यूपीआई का दायरा बढ़ाना है।
फिलहाल इसकी शुरुआत रूपे क्रेडिट कार्ड से होगी। इससे ग्राहकों को यूपीआई मंच से भुगतान करना और सुगम होगा। वर्तमान में यूपीआई बचत/चालू खातों को डेबिट कार्ड से जोड़कर लेन-देन को सुगम बनाता है।
इसके अलावा, शहरी सहकारी बैंकों को अनुसूचित बैंकों की तरह घरों तक अपने ग्राहकों को बैंक से जुड़ी सुविधाएं देने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
साथ ही राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक रियल एस्टेट…रिहायशी मकान…के लिये कर्ज देने की मंजूरी दी गयी है।
इसके अलावा घरों के दाम में वृद्धि और ग्राहकों की जरूरतों को देखते हुए शहरी सहकारी बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा बढ़ाने की भी अनुमति दी गयी है।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नियमित अंतराल पर जरूरी सेवाओं के लिये खुद-ब-खुद होने वाले भुगतान को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया है।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक दो से चार अगस्त, 2022 को होगी।
भाषा
रमण अजय
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