मुंबई, 11 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर तथा उदार रुख बरबरार रख सबको चौंकाने के साथ ही नीतिगत रुझान एवं नीतिगत रणनीति के बीच साफ फर्क भी रखा है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
शुक्रवार का जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने के बाद बॉन्ड प्रतिफल बृहस्पतिवार को सात आधार अंक (0.07 प्रतिशत) गिरकर 6.73 प्रतिशत पर आ गया। आरबीआई की घोषणा के फौरन बाद तो इसमें 0.1 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी लेकिन बाद में स्थिति थोड़ी सुधर गई।
इसके उलट, बजट पेश किए जाने के दिन 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की घोषणा के बाद बॉन्ड प्रतिफल बढ़कर 6.88 प्रतिशत पर पहुंच गया था।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत और मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही उसने अगले वित्त वर्ष में थोक मूल्य सूचकांक करीब 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष को लगता है कि 10 वर्षीय बॉन्ड के प्रतिफल में अभी और गिरावट आएगी और यह 6.55-6.6 प्रतिशत के स्तर पर जाकर स्थिर होगा।
उन्होंने कहा कि भले ही आरबीआई के नीतिगत वक्तव्य से बाजार अचंभित हुआ लेकिन केंद्रीय बैंक शायद बाजार की उम्मीदों से आगे रहा है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई की नीतिगत रणनीति एवं रुझान अलग-अलग रह सकते हैं। उन्होंने इसे सही मायने में एक गैर-परंपरागत मौद्रिक नीति बताई।
घोष ने कहा कि आरबीआई ने रणनीति एवं रुझान के बीच फर्क को साफ करने के साथ ही यह भी जता दिया है कि दोनों एक साथ बने रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही एक दूसरे के पूरक के तौर पर काम करते हैं।
भाषा
प्रेम रमण
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