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बुधवार, 25 जून, 2025
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आरबीआई के लेख ने भारत के ऋण-जीडीपी अनुपात पर आईएमएफ के तर्क को खारिज किया

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मुंबई, 20 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक लेख में देश के सामान्य सरकारी ऋण के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के तर्क को खारिज किया गया है।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा लिखे गए लेख में इस बात पर जोर दिया गया कि ऋण-जीडीपी अनुपात अनुमान से काफी कम हो सकता है।

‘राजकोषीय समेकन के अनुकूल वृद्धि का आकार’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि अनुभव से मिले निष्कर्षों से पता चलता है कि विवेकपूर्ण राजकोषीय समेकन और वृद्धि के बीच मध्यम अवधि की पूरकता अल्पकालिक लागत से अधिक हैं।

लेख के मुताबिक, सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे, जलवायु कार्यवाही, डिजिटलीकरण और श्रमबल को कुशल बनाने पर किए जा रहे खर्च का दीर्घकाल में फायदा मिल सकता है।

आरबीआई के फरवरी बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात आईएमएफ के अनुमानित पथ से कम है।

पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने कहा कि सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात 2030-31 तक घटकर 73.4 प्रतिशत होने का अनुमान है। यह आंकड़ा आईएमएफ के अनुमान 78.2 प्रतिशत से लगभग पांच प्रतिशत कम है।

लेख में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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