मुंबई, नौ मार्च (भाषा) देश का चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.8 प्रतिशत या 23.6 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। यदि ऐसा होता है तो यह कैड का 13 तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर होगा।
बुधवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से जिंसों के दाम चढ़ रहे हैं, जिसका सीधा असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर ओमीक्रोन अब समाप्त हो रही है, लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष की वजह से वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार में भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ा है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि भारत का चालू खाते का घाटा 23.6 अरब डॉलर के अपने दूसरे सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचेगा। यह जीडीपी का 2.8 प्रतिशत रहेगा, जो 13 तिमाहियों का उच्च स्तर है। 2021-22 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 9.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रहा है।’’
वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में कैड 2.2 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.3 प्रतिशत ही रहा था।
रिपोर्ट कहती है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का सीधा असर जिंस कीमतों पर पड़ा है। ढुलाई और परिवहन की लागत में इजाफा होने के साथ कच्चे तेल में उबाल आ गया है।
इसके अलावा भारतीय रुपया भी कमजोर हो रहा है। फरवरी, 2022 में रुपया औसतन 75 प्रति डॉलर रहा है। इस महीने इसके औसतन 76 प्रति डॉलर रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद घरेलू अर्थव्यवस्था के सामान्य होने, जिंस कीमतों में उछाल तथा रुपये में कमजोरी से वस्तुओं का आयात बढ़ेगा। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वस्तुओं का आयात बिल 166 अरब डॉलर से अधिक रहेगा।
भाषा अजय अजय प्रेम
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