मुंबई, नौ फरवरी (भाषा) घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में प्रस्तावित पूंजीगत व्यय ‘‘उतना अधिक नहीं है जितना नजर आ रहा है।’’ हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि आमतौर पर संकट के समय सरकारें पूंजीगत व्यय में कटौती करती हैं, लेकिन इस सरकार ने महामारी के दौरान भी वृद्धि को बढ़ावा देने वाली कदमों पर ध्यान दिया।
क्रिसिल की शोध इकाई ने बुधवार को कहा कि संसद में पेश 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत व्यय में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी करते हुए इसे 7.5 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.91 प्रतिशत के बराबर करने का प्रस्ताव रखा है। यदि इसमें से एक लाख करोड़ रुपये का ऋण आंकड़ा कम कर दिया जाए जो राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए दिया जाना है तो वास्तविक व्यय कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.58 प्रतिशत रह जाएगा जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के बराबर भी नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया कि आंकड़े को बढ़ाने वाली संख्या का असर भी आंतरिक और अतिरिक्त बजट संसाधनों (आईईबीआर) में कटौती से कम हो जाता है। आईईबीआर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में निवेश का वित्तपोषण करता है।
आईईबीआर को अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का 1.82 फीसदी रखा गया है जो महामारी पूर्व (वित्त वर्ष 2018-20) के औसत स्तर 3.33 प्रतिशत से काफी कम है।
गौरतलब है कि वृद्धि को बढ़ाने के लिए अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 35 प्रतिशत बढ़ाए जाने के लिए कुछ हलकों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रशंसा की गई।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष के पूंजीगत व्यय का संशोधित अनुमान 2.60 प्रतिशत है जबकि इसका बजट अनुमान 2.39 प्रतिशत था। क्रिसिल ने कहा कि इसकी वजह एयर इंडिया की देनदारियों पर एकबारगी 51,971 करोड़ रुपये का खर्च है।
रिपोर्ट में कहा गया कि आगामी वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय कुल मिलाकर रोजगार समर्थक है जिसमें सड़कों, राजमार्गों और रेलवे क्षेत्र पर खास ध्यान दिया गया है।
भाषा
मानसी अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.