नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) चाय विधेयक के मसौदे में पुराने या अनावश्यक प्रावधानों को हटाने, लाइसेंसों को समाप्त करने और कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद क्षेत्र से निर्यात को बढ़ाना है।
वाणिज्य मंत्रालय ने 68 साल पुराने चाय अधिनियम, 1953 को निरस्त करने और एक नया कानून चाय (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022 पेश करने का प्रस्ताव किया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘नए विधेयक का उद्देश्य उन पुराने/अनावश्यक प्रावधानों को हटाना है जो अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। साथ ही इस विधेयक का मकसद लाइसेंसों को खत्म करना है।’’
अधिकारी ने बताया कि यह विधेयक उद्योग की जरूरत और देश के मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप होगा।
विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि यह छोटे उत्पादकों को मान्यता देता है और उनके प्रशिक्षण, नई प्रौद्योगिकी को अपनाने, क्षमता निर्माण, मूल्यवर्धन पर जोर देता है। साथ ही यह चाय बागान श्रमिकों के हितों की रक्षा करता है और कारोबार सुगमता को बढ़ावा देता है।
फिलहाल केंद्र सरकार चार ‘नियंत्रण’ आदेशों के जरिये चाय क्षेत्र को नियंत्रित करती है।
विधेयक में छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से मुक्त करने का भी प्रावधान होगा।
इसके अलावा यह विधेयक आनुपातिकता के सिद्धांत को भी पेश करता है। इसके जरिये चाय बोर्ड का प्रत्येक कदम विधेयक के उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। इससे बोर्ड अनुचित या मनमाने कदम नहीं उठा सकेगा।
मौजूदा अधिनियम के पुराने प्रावधानों में चाय के पौधे लगाने की अनुमति, निर्यात आवंटन, निर्यात कोटा और लाइसेंस, भारत में उत्पादित चाय पर उपकर लगाना और बिना अनुमति के रोपित चाय को हटाना शामिल है।
अधिनियम के मौजूदा प्रावधान के तहत केंद्र सरकार के पास न्यूनतम और अधिकतम मूल्य तय करने सहित चाय की कीमत और वितरण को नियंत्रित करने का अधिकार है।
अभी केंद्र के पास तीन माह से अधिक बंद पड़े किसी बागान का प्रबंधन नियंत्रण बिना जांच के किसी भी व्यक्ति को देने का अधिकार है।
अधिकारी ने कहा कि इस तरह के उपाय कभी सफल नहीं रहे हैं। ये उपाय चाय क्षेत्र में नए निवेश को आने से रोकते हैं।
भाषा अजय
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