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Sunday, 6 October, 2024
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पीएसयू की विनिवेश प्रक्रिया में खुली बिक्री पेशकश संबंधी प्रावधानों में छूट का प्रस्ताव

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नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश के लिए खुली बिक्री पेशकश निर्धारित करने की प्रक्रिया में बदलावों का प्रस्ताव रखा है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के विनिवेश के मामले में पेशकश मूल्य तय करने की समीक्षा पर एक परामर्श पत्र जारी करते हुए बाजार नियामक ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य कुछ प्रावधानों से छूट देना है। इसमें पेशकश मूल्य की गणना के लिए 60 दिन के औसत बाजार मूल्य को ध्यान में रखने जैसी आवश्यकता को खत्म करना शामिल है।

परामर्श पत्र पर जनता से 15 अप्रैल तक राय मांगी गई है।

खुली बिक्री पेशकश के प्रावधानों में बदलाव संबंधी यह प्रस्ताव ऐसे समय लाया गया है जब सरकार की कुछ और कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना है।

सेबी ने कहा है कि पीएसयू का रणनीतिक विनिवेश निजी तौर पर होने वाले करारों से अलग होता है। उसने कहा कि निजी लेनदेन की घोषणा बाध्यकारी समझौतों के बाद ही होती है इसलिए इसका लक्षित कंपनियों के कारोबारी मूल्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।

वहीं सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश के मामले में जानकारी सार्वजनिक तौर पर उस समय उपलब्ध होती है जब मंत्रिमंडल की इस बारे में मंजूरी मिल जाती है। इसके बाद अलग-अलग चरणों में घोषणाएं की जाती हैं जिससे पीएसयू का बाजार मूल्य बहुत अधिक प्रभावित होता है।

इस तरह की हिस्सेदारी बिक्री के लिए बोलीदाताओं में से किसी को चुना जाता है और इस प्रक्रिया में कई महीनों या वर्षों का समय लग जाता है। इसके परिणामस्वरूप संभावित अधिग्रहणकर्ता के समक्ष परिवर्तनशील खुली पेशकश होती है क्योंकि विनिवेश की घोषणा के बाद बाजार मूल्य बढ़ने लगता है। ऐसे में समझौता होने तक खुली बिक्री पेशकश की देयता का भार भी बढ़ जाता है।

इस मुद्दे पर सेबी की प्राथमिक बाजार परामर्श समिति में चर्चा की गई।

दूसरी ओर, सेबी ने खुली और पुनर्खरीद पेशकश को पूरा करने में लगने वाले कुल समय को कम करने के लिए प्रक्रियात्मक गतिविधियों के लिए समय-सीमा में बदलाव का सुझाव दिया है, जिसमें शेयरों की निविदा के लिए कम समयावधि भी शामिल है।

प्रस्तावित बदलावों से खुली पेशकश को पूरा करने में लगने वाला कुल समय मौजूदा 62 कार्य दिवसों से घटकर 42 कार्य दिवस हो जाएगा, जबकि पुनर्खरीद के मामले में, समयावधि वर्तमान 43 कार्य दिवसों से घटकर 36 कार्य दिवस हो जाएगी।

सेबी ने कहा कि ये परिवर्तन निवेशकों के हितैषी होने के साथ प्रक्रिया को प्रभावी बनाएंगे।

परामर्श-पत्र में इस प्रस्ताव पर भी 15 अप्रैल तक जनता की राय मांगी गई है।

भाषा

मानसी प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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