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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगत'दूसरे विश्व युद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई' PM मोदी का 'मेक इन इंडिया' पर जोर

‘दूसरे विश्व युद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई’ PM मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर

पीएम ने कहा कि गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी हमारी डिफेंस मैन्यूफेक्चरिंग की ताकत बहुत थी.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बजट वेबिनार को संबोधित किया इस वेबिनार को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते कुछ सालों से भारत अपने रक्षा क्षेत्र में जिस आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है. उसका कमिटमेंट आपको इस साल के बजट में भी दिखेगा.

उन्होंने कहा कि वेबिनार का विषय ‘रक्षा में आत्मनिर्भरता, कॉल टू एक्शन’ है और यह देश के इरादों को स्पष्ट करता है.

पीएम ने कहा कि गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी हमारी डिफेंस मैन्यूफेक्चरिंग की ताकत बहुत थी.

रक्षा बजट में 70% घरेलू उद्योगों के लिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर लगातार बल दे रहा है और इस बार के आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों में से 70% घरेलू उद्योगों के लिए रखा जाना सरकार की इसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.


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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विदेशों से हथियार मंगाने की प्रक्रिया बहुत लंबी है, जिसकी वजह से हथियार भी समय की मांग के अनुकूल नहीं रहते और इसमें भ्रष्टाचार तथा विवाद भी होते हैं, लिहाजा इसका समाधान ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ में ही है.

आगे बोले, ‘बीते कुछ वर्षों से भारत अपने रक्षा क्षेत्र में जिस आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है, उसकी प्रतिबद्धता इस बार के बजट में भी दिखेगी. इस साल के बजट में देश के भीतर ही शोध, डिजाइन और तैयारी से लेकर निर्माण तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है.’

बाहर से हथियार मंगवाना की प्रक्रिया इतनी लंबी होती है

पीएम बोले कि जब बाहर से हथियार लाए जाते हैं तो इसकी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि सुरक्षाबलों तक पहुंचते तक उनमें से कई हथियार समय की मांग के अनुरूप नहीं रहते. उन्होंने कहा, ‘इसका समाधान भी ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘मेक इन इंडिया’ में ही है.’

नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मेक इन इंडिया को सरकार के प्रोत्साहन का परिणाम है कि पिछले सात सालों में रक्षा निर्माण के लिए 350 से भी अधिक नए औद्योगिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं. जबकि 2001 से 2014 तक, चौदह वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुए थे.’

आगे बोले, ‘आजादी से पहले और उसके बाद भी भारत की रक्षा निर्माण की ताकत बहुत ज्यादा थी और दूसरे विश्व युद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका भी निभाई थी.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि बाद के वर्षों में हमारी यह ताकत कमजोर होती चली गई, लेकिन यह दिखाता है कि भारत में क्षमता की कमी ना तब थी, और ना अब है.’

आज हमारी फौज के पास भारत में बने साजो-सामान होते हैं तो उनका आत्मविश्वास, उनका गर्व भी नई ऊंचाई पर पहुंचता है. इसमें हमें सीमा पर डटे जवानों की भावनाओं को भी समझना चाहिए.

सूचना और प्रौद्योगिकी को भारत की बहुत बड़ी सार्मथ्य करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में इसका जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा, देश की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी.


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