नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) बिजली मंत्रालय ने 10 प्रतिशत तक ‘मिश्रण’ के लिए कोयले के आयात सिफारिश की है। गर्मी के दिनों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए कोयले का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने को मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। अगले कुछ सप्ताह के दौरान बिजली की मांग और बढ़ने की संभावना है ऐसे में मंत्रालय कोयले का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करना चाहता है।
साथ ही मंत्रालय ने बिजली उत्पादकों को सुदूर क्षेत्रों में आवंटित खदानों से कोयला लाने के बजाय संयंत्रों के पास उपलब्ध खदानों से ईंधन लेने की सुविधा (टोलिंग) की भी अनुमति दी है।
ये कदम ऐसे समय उठाये गये हैं, जब कोयले का भंडार कम-से-कम नौ साल की अवधि में गर्मी से पहले अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं बिजली की मांग कम-से-कम 38 साल में सबसे तेज गति से बढ़ने की संभावना है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राज्यों के बिजलीघरों को ‘टोलिंग’ की अनुमति दी जाएगी ताकि वे ईंधन व्यवस्था का अनुकूलतम रूप से उपयोग कर सके। बिजली उत्पादन कंपनियों को कोयले की सुदूर क्षेत्र से ढुलाई से ‘बचाने’ के लिये 25 प्रतिशत तक ‘टोलिंग’ सुविधा की अनुमति दी जाएगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार मिश्रण के लिये कोयले का आयात एवं भंडार स्थिति की समीक्षा के लिये आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा, ‘‘इससे राज्यों को अपनी ईंधन व्यवस्था के तहत आवंटित कोयले का संयंत्रों के सबसे नजदीक वाली खदानों से अधिकतम उपयोग करने में मदद मिलेगी क्योंकि दूरदराज के राज्यों में कोयले की ढुलाई करने के बजाय विद्युत पहुंचाना कहीं अधिक आसान रहेगा।’’
यह समीक्षा बैठक मंगलवार को हुई।
बयान में कहा गया है, ‘‘मंत्री ने आयातित कोयला आधारित संयंत्रों के परिचालन की समीक्षा की। उन्होंने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी आयातित कोयला आधारित संयंत्र (आईसीबी) ठीक और उचित शुल्क दरों पर काम करें। आईसीबी संयंत्रों में परिचालन संबंधित सभी मुद्दों को हल करने और उन्हें पूरी तरह क्रियाशील बनाने का भी निर्णय किया गया।’’
बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए यह सिफारिश की गयी कि सभी बिजली उत्पादक कंपनियां पर्याप्त ईंधन भंडार सुनिश्चित करने को लेकर 10 प्रतिशत तक मिश्रण के लिए कोयले का आयात करें।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल की शुरुआत में बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार औसतन केवल नौ दिनों का ही था। यह 2014 के बाद सबसे कम है। नियमों के अनुसार संयंत्रों को औसतन 24 दिनों का भंडार बनाये रखने की जरूरत है।
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रमण अजय
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