नई दिल्ली: देश में पेट्रोल और डीजल की खपत में जुलाई के पहले पखवाड़े में गिरावट आई है. उद्योग के शुरुआती आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
आंकड़ों के अनुसार, मानसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश की वजह से लोगों ने अपनी यात्रा की योजना टाल दी है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी ईंधन की मांग घट गई है. इससे पेट्रोल, डीजल की कुल मांग प्रभावित हुई है.
आंकड़ों के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा खपत वाले ईंधन डीजल की मांग एक से 15 जुलाई के दौरान 15 प्रतिशत घटकर 29.6 लाख टन रह गई. कुल ईंधन मांग में डीजल का हिस्सा करीब 40 प्रतिशत है.
गर्मियों में वाहनों में ‘एसी’ का इस्तेमाल बढ़ने तथा कृषि क्षेत्र की मांग में उछाल से अप्रैल और मई में डीजल की मांग क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी. मानसून के आने के साथ ही जून के दूसरे पखवाड़े से इस ईंधन की मांग घटने लगी थी.
मासिक आधार पर डीजल की बिक्री में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट आई है. एक से 15 जून के दौरान डीजल की बिक्री 36.8 लाख टन रही थी.
समीक्षाधीन अवधि में पेट्रोल की बिक्री भी 10.5 प्रतिशत घटकर 12.5 लाख टन रह गई. मासिक आधार पर पेट्रोल की बिक्री 10.8 प्रतिशत घटी है.
भारत में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों आगे बढ़ रहे हैं जिससे देश में ईंधन की मांग भी तेज़ रही है. इसकी वजह से मार्च के दूसरे पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की मांग बढ़ी थी. हालांकि, मानसून के आगमन के साथ इन ईंधन की मांग सुस्त पड़ी है.
जुलाई के पहले पखवाड़े एक से 15 जुलाई के दौरान पेट्रोल की खपत कोविड प्रभावित जुलाई, 2021 की तुलना में 12.5 प्रतिशत अधिक और महामारी-पूर्व की अवधि एक से 15 जुलाई, 2019 की तुलना में 16.6 प्रतिशत अधिक रही है.
इसी तरह डीजल की खपत एक से 15 जुलाई, 2021 से 10.1 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि जुलाई, 2019 के पहले पखवाड़े की तुलना में यह 1.1 प्रतिशत कम रही है.
हवाई यात्राओं में लगातार वृद्धि के साथ विमान ईंधन (एटीएफ) की मांग एक से 15 जुलाई के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.1 प्रतिशत बढ़कर 3,01,800 टन हो गई. यह जुलाई, 2021 के पहले पखवाड़े की तुलना में दोगुना से ज्यादा है. हालांकि, महामारी-पूर्व की अवधि एक से 15 जुलाई, 2019 की तुलना में 5.9 प्रतिशत कम है.
मासिक आधार पर विमान ईंधन की बिक्री में करीब 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई है. एक से 15 जून के दौरान एटीएफ की बिक्री 3,23,500 टन रही.
उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में देश में औद्योगिक गतिविधियां तेज़ होने के कारण ईंधन की मांग तेज़ रही है.
रसोई गैस यानी एलपीजी की बिक्री वार्षिक आधार पर 6.3 प्रतिशत घटकर 12.7 लाख टन रह गई है. रसोई गैस की खपत जुलाई, 2021 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक और महामारी-पूर्व की अवधि एक से 15 जुलाई, 2019 की तुलना में 3.7 प्रतिशत अधिक है.
मासिक आधार पर जून के पहले पखवाड़े में 12.2 लाख टन की तुलना में रसोई गैस की मांग 3.8 प्रतिशत बढ़ी है.
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