नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) के लिए शुरू की गई आपात ऋण-सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत कर्ज लौटाने की अवधि बढ़ाने की सिफारिश की है।
उद्योग पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि ईसीएलजीएस के तहत एमएसएमई को कर्ज लौटाने के लिए दी गई तीन-चार वर्षों की मियाद बहुत कम है। समिति का कहना है कि ये इकाइयां कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद से अपना वजूद बचाने के लिए जूझ रही हैं।
समिति के मुताबिक, “हमारी अनुशंसा है कि कर्ज अदायगी की अवधि को बढ़ाकर सात-आठ साल किया जाना चाहिए जिसमें कर्ज की मूल राशि लौटाने पर दो साल का स्थगन भी शामिल हो। जहां तक ब्याज का सवाल है तो एक मार्च 2020 के बाद की ब्याज अदायगी पर स्थगन की घोषणा रिजर्व बैंक को करनी चाहिए।”
संसदीय समिति ने कहा है कि आयात किए जा रहे तमाम एमएसएमई-केंद्रित उत्पादों का विनिर्माण भारत में किया जा सकता है। समिति ने आयात से संबंधित उत्पादों एवं उपकरणों को देश में बनाने के लिए केंद्रीय बाजार आसूचना केंद्र बनाने का भी सुझाव दिया है।
समिति ने कहा कि इस केंद्र को आयात किए जा रहे उत्पादों की उनकी खासियत के साथ सूची तैयार करने का जिम्मा सौंपा जा सकता है। इन उत्पादों को देश में ही तैयार करने के बारे में एमएसएमई क्षेत्र के बीच जागरूकता फैलाने और उद्यमियों को आकर्षित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
समिति ने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की प्रमुख योजनाओं के कोष का कम इस्तेमाल होने पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और खादी एवं ग्रामोद्योग के विकास पर असर पड़ेगा।
संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को नए वैश्विक बाजारों में खादी उत्पादों को पहुंचाने पर ध्यान देना चाहिए। इससे खादी क्षेत्र के हजारों कारीगरों का हित सुरक्षित हो सकेगा।
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प्रेम अजय
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