नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत ‘बंदरगाह आधुनिकीकरण’ की लागत 20,000 करोड़ रुपये बढ़ने पर चिंता जतायी है। समिति ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन पर जोर देते हुए कहा है कि कि सरकार को देरी के कारणों और उसके समाधान के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर गौर करना चाहिए।
सागरमाला परियोजना का मकसद सरकार की विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल तथा मल्टीमॉडल संपर्क में सुधार के साथ घरेलू और निर्यात तथा आयात से जुड़े कार्गो के लिये ‘लॉजिस्टिक’ लागत में कमी लाना है।
परियोजना का उद्देश्य बड़े और छोटे बंदरगाहों की क्षमता को बढ़ाना, उनका आधुनिकीकरण करना, बंदरगाह संपर्क को मजबूत बनाना आदि है।
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के तहत लागत 20,000 करोड़ रुपये बढ़कर 2,61,052 करोड़ रुपये पहुंच गयी है, जो पहले 2,59,817 करोड़ रुपये थी।’’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति सागरमाला कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन को रेखांकित करती है। साथ ही पूर्व की सिफारिश को दोहराती है कि मंत्रालय देरी के सही कारणों और उसके समाधान के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर गौर करे।’’
समिति के मुताबिक, यह ध्यान देने योग्य है कि 2020-2021 में इस विषय पर अंतिम बातचीत में, सरकार ने सूचित किया था कि बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के तहत 242 परियोजनाओं में से 76 को पूरा कर लिया गया है। इसके परिणामस्वरूप 20 करोड़ टन सालाना से अधिक बंदरगाह क्षमता में वृद्धि हुई है। वहीं 59 क्रियान्वयन के अधीन थीं।
हालांकि, लगभग एक साल बाद केवल एक और परियोजना ही पूरी की गई है। इससे कुल 77 परियोजनाएं पूरी हुई हैं। जबकि प्रमुख बंदरगाहों पर 36 परियोजनाएं और गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर 15 परियोजनाएं क्रियान्वयन के अंतर्गत हैं।
भाषा
रमण अजय
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