नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बल देने के बावजूद, कि स्वास्थ्य और कल्याण आत्मनिर्भर भारत के छह स्तंभों में से एक है, बजट दस्तावेज़ों के अनुसार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, तथा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए, आवंटन में केवल 7 प्रतिशत का मामूली इज़ाफा किया गया है.
वित्तमंत्री ने जो 137 प्रतिशत वृद्धि का ऐलान किया, उसमें कई अन्य आवंटन हैं जिनमें जल आपूर्ति, सफाई व्यवस्था, वायु प्रदूषण में कमी आदि शामिल हैं, जिन्हें एक साथ जमा करके, ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण’ के एक नए हेड में डाल दिया गया है.
मंत्रालय का आवंटन 73931.77 करोड़ रुपए है. स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए 2663 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल 2100 करोड़ रुपए थे, जबकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का आवंटन 71268 करोड़ रुपए है.
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने कोविड-19 का पहला देसी टीका, कोवैक्सीन विकसित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिसे भारत बायोटेक ने तैयार किया है, और जिसे फिलहाल कोविड-19 टीकाकरण प्रोग्राम में इस्तेमाल किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग का, पिछले साल कुल आवंटन 69000 करोड़ रुपए था.
उसमें अब 4931 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है, जो 7% से कुछ अधिक है. आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना का आवंटन 6400 करोड़ रुपए पर ही बना हुआ है.
आयुष मंत्रालय का बजट 2970 करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष के 1784 करोड़ से 66 प्रतिशत अधिक है.
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आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत
अधिकारियों का कहना है कि ये आवंटन स्वास्थ्य मंत्रालय की अपेक्षा के अनुरूप ही है. हालांकि कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य की अहमियत को उजागर किया, लेकिन वास्तविकता ये है कि आर्थिक मोर्चे पर भी बहुत अधिक मार पड़ी है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य पर बहुत ज़्यादा अतिरिक्त प्रतिबद्धता की वित्तीय गुंजाइश नहीं बचती.
पिछले वर्ष, आगामी महामारी को देखते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय के आवंटन में 3.75 प्रतिशत की वृद्धि कीगई थी. 2019 में, स्वास्थ्य बजट में 17 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ था, जबकि उससे पिछले साल वो सिर्फ 5 प्रतिशत बढ़ा था. पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का आवंटन छह वर्ष के लिए है.
स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने के लिए, केंद्र द्वारा वित्त-पोषित नई स्कीम, पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत योजना के लिए, जिसकी सीतारमण ने घोषणा की, छह वर्षों में 64,180 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. अगर समान वितरण हो, तो ये हर साल 10,000 करोड़ रुपए से कुछ अधिक बैठता है.
बजट दस्तावेज़ों में कोई समय सीमा नहीं दी गई है, जिसमें ये वितरित होगा. इस धनराशि का इस्तेमाल स्वास्थ्य सिस्टम को मज़बूत करने में किया जाएगा, जिसमें नेशनल सेंटर फॉरडिज़ीज़ कंट्रोल के लैबोरेटरी नेटवर्क का विस्तार, और 17,000 से अधिक ग्रामीण, तथा11,000 शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों को सहायता शामिल हैं. इसके और भी कई मद हैं, जिन पर पैसा ख़र्च किए जाने की अपेक्षा है.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव ने कहा, ‘ये स्पष्ट नहीं है कि क्या पीएम आत्मनिर्भरस्वास्थ्य स्कीम, स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा है. उन्होंने ये संख्या कैसे निर्धारित की? वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपए का आवंटन तो समझ में आता है, लेकिन बाक़ी सब सिर्फ एक मामूली वृद्धि है.
वैक्सीन के लिए ये धनराशि उन्होंने कैसे निर्धारित की, ये भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि थोक ख़रीद में दाम कम होने की अपेक्षा की जाती है, इसलिए ये पहले घोषित किए गए, 30 करोड़ आबादी के टीकाकरण लक्ष्य से अधिक होना चाहिए. हमें नहीं मालूम कि वैक्सीन कितने समय तक कारगर रहेगी’.
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