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Tuesday, 30 April, 2024
होमडिफेंससेना के मॉर्डेनाइजेशन के लिए बनेगा 2.38 लाख करोड़ का फंड, कैप्टिल एक्सपेंडिचर में 19% की हुई वृद्धि

सेना के मॉर्डेनाइजेशन के लिए बनेगा 2.38 लाख करोड़ का फंड, कैप्टिल एक्सपेंडिचर में 19% की हुई वृद्धि

15 वें वित्त आयोग ने 2021-26 में सेना के आधुनिकीकरण के लिए 2.38 लाख करोड़ रुपये के गैर-लैप्सेबल फंड की सिफारिश की थी.

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नई दिल्ली: चीन से पूर्वी लद्दाख में चल रहे टेंशन के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को रक्षा बजट में 19 फीसदी की बढ़ोतरी की है. जबकि 15 वें वित्त आयोग ने 2021 से 26 में सेना के आधुनिकीरण के लिए 2.38 लाख करोड़ का नॉन लैप्सेबल फंड की सिफारिश की थी.

हालांकि अगर पूरे बजट को देखें तो यह सिर्फ 1.5 फीसदी की ही बढ़ोतरी को दिखा रहा है. यदि संशोधित बजट की तुलना करें तो कैपिटल बजट में केवल 0.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

मौजूदा बजट में यदि डिफेंस बजट के एलोकेशन की बात करें तो 1,13, 374 करोड़ है जो संशोधित अनुमान के अनुसार 1,34,510 करोड़ किया गया है. यह चीन के साथ तनाव के मद्देनजर तीन सर्विस में की गई अतिरिक्त खरीद के कारण हुआ है.

पूरा डिफेंस बजट 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ नगण्य नजर आ रहा है. क्योंकि, यह 4.71 लाख करोड़ से 4,78,196.62 लाख करोड़ हुआ है. क्योंकि इस वर्ष पेंशन के एलोकेशन में कमी की गई है.

जबकि मौजूदा वर्ष में डिफेंस पेंशन 1,33,825 करोड़ है . जो आगामी वर्ष के लिए रिवाइज कर के 1,25,000 लाख करोड़ किया गया है नए बजट में यह 1,15,850 करोड़ है.

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डिफेंस और सिक्योरिटी इस्टैबलिशमेंट के सूत्रों का कहना है कि यह दिखाता है कि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई जा सकती है. जैसा कि पहले ही दिप्रिंट ने बताया था.

वित्तीय आयोग की सिफारिश

15 वें वित्तीय कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था वैश्विक परिपेक्ष्य को देखते हुए सेना में स्ट्रेटजिक रिक्वायरमेंट की जरूरत है. इसने अपने दृष्टिकोण में सकल राजस्व प्राप्तियों में संघ और राज्यों के सापेक्ष शेयरों को फिर से कैलिब्रेट किया है.
ए्कसवीएफसी ने जिस विशेष फंडिग मैकेनिज्म का प्रस्ताव दिया था वह इसके जरिए उस प्रस्ताव के लिए धन मिल पाएगा.

कमीशन ने अपने बयान में यह भी कहा है,’ केंद्र सरकार भारत का एक सार्वजनिक एकाउंट बना सकती है. जिसकी कोई समयावधि नहीं होगी. रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए आधुनिकी करण कोष की स्थापना सरकार कर सकती है.

2021-26 की अवधि के दौरान प्रस्तावित एमएफडीआईएस का कुल सांकेतिक आकार 2,38,354 करोड़ रुपये है.

चीनी चुनौती के बीच राजकोषीय संकट

2020 में चीन का अधिकारिक रक्षा बजट 179 अरब डॉलर था, भारत के रक्षा बजट का तीन गुना.

जहां 2020-21 के लिए भारत का रक्षा आवंटन, जिसमें पेंशंस शामिल थीं, कुल बजट का 15.5 प्रतिशत था, वहीं चीन के कुल बजट में, रक्षा का अधिकारिक हिस्सा 36.2 प्रतिशत था.

अपनी ताज़ा रिपोर्ट में, स्वीडन के थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने कहा, कि 2019 में चीन का वास्तविक रक्षा बजट 240 अरब डॉलर था, जबकि अधिकारिक रूप से ये आंकड़ा 175 अरब डॉलर था.

2020-21 के लिए भी भारत का रक्षा बजट पर्याप्त नहीं था. उसने तीनों सेवाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना- के लिए आधुनिकीकरण की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी.

सेना के लिए पूंजि ख़र्च में, जो नई ख़रीद और आधुनिकीकरण के लिए इस्तेमाल होता है, 2019-20 के संशोधित अनुमान में, केवल 3 प्रतिशत या 3,400 करोड़ की मामूली वृद्धि हुई.

भारतीय वायुसेना, जो विस्तार के बीच में है, और लगभग 200 नए लड़ाकू विमान ख़रीद रही है, का पूंजिगत बजट भी 44,869.14 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से घटकर, 43,281.91 करोड़ रह गया.

इस तरह के बजटीय दबावों की वजह से, पिछले कुछ सालों से सेवाओं को, संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है.

2018 में, तत्कालीन उप-सेना प्रमुख ले. जन. शरत चंद ने, रक्षा पर संसद की स्थाई समिति के सामने गवाही दी थी, जिसमें उन्होंने सेना को पेश आ रही वित्तीय तंगहाली की चर्चा की. उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट ने, बल के पर्याप्त आधुनिकीकरण की उनकी ‘उम्मीदों को धवस्त’ कर दिया था.

चंद ने संसदीय पैनल से कहा, ‘आधुनिकीकरण के लिए आवंटित 21,388 करोड़ रुपए, 125 चालू योजनाओं, आपात ख़रीद, और अन्य ज़रूरतों के लिए, 29,033 करोड़ के प्रतिबद्ध भुगतान के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं’.

2019-20 के बजट में सेना का पूंजिगत हिस्सा 32,474 करोड़ रुपए था.

बल वास्तव में घाटे से दोचार हैं, क्योंकि उनके लिए जो आवंटन होता है, वो उनकी मांग से काफी कम होता है.

जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के स्पेशल सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़ में, असोशिएट प्रोफेसर लक्षमण कुमार बहेड़ा ने कहा, कि संसाधनों की ज़रूरत और आवंटन के बीच का ये अंतर, जो थोड़े समय के लिए, 2013-14 के 27 प्रतिशत से घटकर, 2015-16 में 14 प्रतिशत हो गया था, 2018-19 में बढ़कर 30 प्रतिशत और 2019-20 में 25 प्रतिशत हो गया.

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