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Wednesday, 20 August, 2025
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अब डाकघर बेच रहा है बलिया का ‘सत्तू’

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बलिया (उप्र), 20 अगस्त (भाषा) डाक विभाग ने बलिया के मशहूर व्यंजन बाटी-चोखा में बाटी की जान कहे जाने वाले ‘सत्तू’ की बिक्री की सुविधा शुरू की है। वाराणसी परिक्षेत्र के सभी डाकघरों में सत्तू की बिक्री ‘बलिया बलिदान दिवस’ के मौके पर 19 अगस्त से शुरू हुई है।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, वाराणसी परिक्षेत्र के महा डाकपाल (पोस्ट मास्टर जनरल) कर्नल विनोद ने वाराणसी कैंट स्थित प्रधान डाकघर में बलिया के सत्तू की बिक्री की शुरुआत की।

कर्नल विनोद ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन दिये जाने और ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना को ध्यान में रखते हुए सत्तू की बिक्री के लिए वाराणसी परिक्षेत्र में 100 डाकघरों में यह सेवा शुरू की गई है ।

उन्होंने बताया कि वाराणसी के साथ-साथ चंदौली, मुगलसराय, जौनपुर, बलिया, नौगढ़ और गाज़ीपुर जिलों में भी सत्तू बिक्री की व्यवस्था की गई है। यह योजना सफल होने पर इसका विस्तार उत्तर प्रदेश के सभी डाकघरों में किया जाएगा। इसके बाद देश के अन्य राज्यों के साथ ही पूरे भारत में सत्तू बिक्री की व्यवस्था की जाएगी।

विनोद ने बताया कि यह सत्तू बलिया से सीधे डाकघरों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे उपभोक्ता को यह उचित दर पर उपलब्ध होगा। इस कदम से आम जन को सही मूल्य पर बलिया का प्रसिद्ध व्यंजन मिलेगा, वहीं इस सेवा के द्वारा भारतीय डाक विभाग को बहुत अच्छा राजस्व भी प्राप्त होगा।

उन्होंने बताया कि डाकघरों में गुलाब की खुशबू वाला सत्तू, केसर के स्वाद वाला और चॉकलेट के स्वाद का सत्तू भी उपलब्ध है।

परंपरागत सत्तू भुने चने को पीस कर तैयार किया जाता है, जिसे पानी में घोलकर पिया जाता है और स्वाद के लिए इसमें काला नमक और पुदीना तथा नींबू डाला जाता है।

उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से लेकर विदेश में भी सत्तू का प्रयोग होता है। यह पौष्टिक नाश्ते के रूप में खाया और खिलाया जाता है।

भाषा सं सलीम सिम्मी अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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