नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए बीमा नियामक भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों द्वारा तरजीही शेयरों और अधीनस्थ ऋण के माध्यम से पूंजी जुटाने के लिए पूर्व मंजूरी की आवश्यकता को खत्म करने का निर्णय लिया है।
सूत्रों ने बताया कि हाल में हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इसके अनुसार, जारी की जाने वाली अन्य प्रकार की पूंजी (ओएफसी) किसी बीमा कंपनी के नेटवर्थ या चुकता शेयर पूंजी का 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
निदेशक मंडल ने ‘कॉल ऑप्शन (भविष्य की किसी तारीख में खरीद का विकल्प)’ के लिए पूर्व मंजूरी लेने की जरूरत को भी खत्म कर दिया है। जो अन्य सुधार मंजूर किए गए हैं वे वितरण और प्रबंधन खर्च से संबंधित हैं।
इरडा के नवनियुक्त चेयरमैन देवाशीष पांडा के तहत यह निदेशक मंडल की पहली बैठक है।
निदेशक मंडल ने बीमा कंपनियों की बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) कंपनियों में अधिकतम निवेश सीमा को उनकी परिसंपत्तियों के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया है।
वितरण के लिहाज से भी निदेशक मंडल ने फैसला लिया है। इसके मुताबिक अब कॉरपोरेट एजेंट जीवन बीमा, सामान्य बीमा और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों जैसी नौ बीमाकर्ताओं के साथ जुड़ सकता है।
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मानसी अजय
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