नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) दूरसंचार राज्यमंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने सोमवार को कहा कि दूरसंचार विभाग वोडाफोन आइडिया को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के संबंध में कोई राहत देने पर विचार नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल ही में उनके बहुत से ऋण को इक्विटी में बदल दिया है। सरकार ने वह सब कुछ किया है जो हमें लगा कि हम कर सकते हैं। इस समय, हमने जो किया है, उसके अलावा कुछ भी करने की हमारी कोई योजना नहीं है।’’
सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी बकाया के बदले 36,950 करोड़ रुपये के शेयर हासिल करने के बाद वोडाफोन आइडिया में सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई है।
इससे पहले, सरकार ने 16,000 करोड़ रुपये से अधिक के सांविधिक बकाया के बदले 2023 में लगभग 33 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी।
वोडाफोन ने उच्चतम न्यायालय में अपने हलफनामे में कहा था कि वह सरकारी समर्थन के बिना बाजार में बनी नहीं रह पाएगी।
कंपनी की एजीआर देनदारी जून, 2025 तिमाही के अंत में लगभग 75,000 करोड़ रुपये थी।
वोडाफोन आइडिया ने भारती एयरटेल, बीएसएनएल, एमटीएनएल जैसी अन्य कंपनियों के साथ एजीआर की परिभाषा पर दूरसंचार विभाग के दावों का विरोध किया था। कई साल के कानूनी विवाद के बाद, अक्टूबर 2019 में न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया और दूरसंचार कंपनियों को सरकार द्वारा दावा किए गए पूरे बकाया का भुगतान करने को कहा।
कंपनी को मोहलत अवधि समाप्त होने के बाद 31 मार्च, 2026 से छह समान किस्तों में एजीआर देनदारी का भुगतान करना होगा।
एलन मस्क के नेतृत्व वाली स्टारलिंक, भारती समूह समर्थित यूटेलसैट वनवेब जैसी कंपनियों द्वारा सैटकॉम सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, पेम्मासानी ने कहा कि मूल्य निर्धारण पर चर्चा चल रही है और इसे अंतिम रूप दिए जाने के बाद स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा।
भाषा रमण अजय
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