नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) मौजूदा समय में सरकार के पास लाभ कमाने वाली उर्वरक कंपनियों के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की रुग्ण उर्वरक इकाइयों के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह जानकारी संसद को मंगलवार को दी गई।
मौजूदा समय में उर्वरक विभाग के नियंत्रण में सार्वजनिक क्षेत्र की दो बीमार उर्वरक कंपनियां एफएसीटी (फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड) और एमएफएल (मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड) हैं।
रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया, ‘‘दोनों इकाइयां चालू हैं। एफएसीटी ने वित्त वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक लाभ की सूचना दी है। एमएफएल को 2015-16 से 2019-20 तक घाटा हुआ है।’’
मंत्री ने उल्लेख किया कि वर्तमान में ऐसी कोई उर्वरक निर्माण इकाई नहीं है जो घाटे में चल रही हो, जिसमें ऋण माफ किया गया हो और पुरानी मशीनरी को हाल ही में बदल दिया गया हो।
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा समय में लाभ कमाने वाली उर्वरक इकाइयों के साथ बीमार या रुग्ण उर्वरक इकाइयों के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
मंत्री ने कहा कि इन दो बीमार इकाइयों के कर्मियों के कौशल और प्रबंधन विकास के लिए एमएफएल ने पिछले तीन वर्षों में 921 कर्मियों के लिए 75 कार्यक्रम किए, जबकि एफएसीटी ने 268 कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया।
बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) की बंद इकाई की स्थिति पर एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी द्वारा इसके पुनरुद्धार का प्रारूप तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि 28 फरवरी, 2022 तक परियोजना ने 94.8 प्रतिशत की समग्र प्रगति हासिल कर ली है। इस संयंत्र के इस साल जून के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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