नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने मंगलवार को कहा कि राजस्व विभाग को 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बकाया कर की वसूली को लेकर ठोस कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।
वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि विभाग को तलाशी और जब्ती कार्रवाई के लिये पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए। पूरी कार्रवाई में यह सुनिश्चित होना चाहिए कि ईमानदार करदाता परेशान नहीं हो।
समिति ने कहा है कि विभाग 21 लाख करोड़ रुपये (प्रत्यक्ष कर के मामले में 18.66 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर की श्रेणी में 2.95 लाख करोड़ रुपये) से अधिक बकाया के मामले में ‘दुष्चक्र’ में फंस गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका एक बड़ा हिस्सा ‘मांग की वसूली में मुश्किल’ की श्रेणी में अंतर्गत है। यह बकाया मांग का 94 प्रतिशत से अधिक है।
वहीं अप्रत्यक्ष कर के संदर्भ में 2.95 लाख करोड़ रुपये के बकाये में से 2.58 लाख करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिसे वसूला नहीं जा सकता है। इसका मतलब है कि 88 प्रतिशत बकाया मामले में कर वसूला नहीं जा सकता है। केवल 12 प्रतिशत बकाया ऐसे हैं, जिसे वसूला जा सकता है, लेकिन अबतक उसे प्राप्त नहीं किया जा सका है।
समिति ने स्वीकार किया कि बकाया कर वसूली कोविड महामारी के कारण प्रभावित हुई है। लेकिन बकाया कर का बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसकी वसूली नहीं हो सकती है। यह कर विभाग के प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
भाजपा के जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘‘बकाया साल-दर-साल बढ़ रहा है। ऐसे में समिति समयबद्ध तरीके से तेजी से बकाया कर निपटान को लेकर ठोस कार्ययोजना और रूपरेखा तैयार करने की सिफारिश करती है।’’
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रमण अजय
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