नयी दिल्ली, नौ फरवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रियल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ जुलाई, 2023 में दिवाला कार्यवाही का निर्देश देने वाले अपने आदेश को वापस लेकर उसे रद्द कर दिया है।
न्यायाधिकरण ने कहा कि याचिका ‘धोखाधड़ी और दुर्भावनापूर्ण इरादों’ से शुरू की गई थी और वित्तीय लेनदार द्वारा एक मिलीभगत वाली याचिका दायर की गई थी।
एनसीएलटी ने कहा कि उसकी वित्तीय ऋणदाता एक्सपर्ट्स रियल्टी प्रोफेशनल्स के बीच ‘सांठगाठ और संबंध है।’ इसी याचिका पर लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू की गई थी। न्यायाधिकरण ने कहा कि पूरा लेन-देन ‘सुनियोजित’ था और मंच का इस्तेमाल ‘कथित दुर्भावनापूर्ण इरादे से’ किया गया था।
न्यायाधिकरण ने कहा कि लॉजिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर और उसके वित्तीय ऋणदाता के खिलाफ ‘गुप्त उद्देश्य से’ दायर की गई दिवाला याचिका में इस मंच का उपयोग रियल्टी कंपनी के दिवाला समाधान के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया है, जिसका कथित दुर्भावनापूर्ण इरादा दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता (आईबीसी) के उद्देश्यों के विपरीत है।
एनसीएलटी ने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से गहन जांच कराने तथा कथित धोखाधड़ी और मिलीभगत वाली कार्रवाइयों की व्यापक जांच के लिए पर्दा उठाने को भी कहा है।
न्यायाधिकरण ने कहा, “हमारा यह सुविचारित मत है कि वित्तीय ऋणदाता (एक्सपर्ट्स रियल्टी प्रोफेशनल्स) द्वारा दायर धारा 7 आवेदन आईबी-237(एनडी)/2023 एक कपटपूर्ण आवेदन है, जो कॉरपोरेट देनदार (लॉजिक्स इन्फ्रा) के साथ मिलीभगत करके एक गुप्त उद्देश्य से दायर किया गया है।”
भाषा अनुराग अजय
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