नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) कंपनी अधिनियम के तहत मिली शक्ति के तहत ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता से संबंधित प्रकरणों में जांच एजेंसियों को किसी कंपनी के मामलों की जांच का आदेश दे सकता है।
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का यह आदेश मैक्स पब्लिसिटी एंड कम्युनिकेशन की तरफ से दायर एक याचिका पर आया है जिसमें एनसीएलटी के जांच संबंधी आदेश को चुनौती दी गई थी।
एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने 21 जनवरी, 2025 को मैक्स पब्लिसिटी एंड कम्युनिकेशन के खिलाफ दायर एक दिवाला अर्जी को खारिज करने के साथ ही आदेश की एक प्रति गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) सहित जांच एजेंसियों को भेजने का निर्देश दिया था।
मैक्स पब्लिसिटी ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि उसे आदेश में की गई विभिन्न प्रतिकूल टिप्पणियों पर अपनी बात रखने का कोई अवसर नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
हालांकि एनसीएलएटी ने अपने नवीनतम आदेश में कहा है कि कंपनी अधिनियम की धारा 213 के तहत एनसीएलटी द्वारा जांच के लिए पारित ऐसे आदेश पूर्व-शर्तों के अनुपालन के बाद ही दिए जा सकते हैं।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि एनसीएलटी जांच के लिए निर्देश दे सकता है, लेकिन ऐसा संबंधित पक्षों को उचित अवसर देने के बाद ही किया जा सकता है।
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