नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) रियल्टी कंपनी महागुन को बड़ी राहत देते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने उसके खिलाफ दिवाला कार्यवाही रद्द कर दी है।
इसके साथ ही एनसीएलटी को निर्देश दिया गया है कि वह परियोजनाओं पर दायर नयी स्थिति रिपोर्ट पर विचार करते हुए याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करे।
अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि एनसीएलटी को मानसी बरार फर्नांडीस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर विचार करना चाहिए था, जहां यह माना गया है कि रियल एस्टेट में दिवाला प्रक्रिया परियोजनाओं के आधार पर होनी चाहिए।
इसके अलावा, एनसीएलएटी ने महागुन की अन्य परियोजनाओं के विभिन्न घर खरीदारों द्वारा दायर एक हस्तक्षेप आवेदन पर भी विचार किया, जिसमें उन्होंने रियल्टी कंपनी के खिलाफ एनसीएलटी के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था।
उनमें से कुछ ने महागुन के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) जारी रखने का भी सुझाव दिया, और कुछ सदस्यों ने तर्क दिया कि इसे केवल महागुन मनोरियल परियोजना तक ही सीमित रखा जाना चाहिए।
इस मामले में, आदित्य बिड़ला कैपिटल लिमिटेड (एबीसीएल) ने भी एक हस्तक्षेप याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि उसने महागुन को चार अन्य परियोजनाओं के लिए अग्रिम वित्त पोषण दिया है, ये परियोजनाएं चालू हैं और कोई चूक नहीं हुई है।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली स्थित पीठ ने पांच अगस्त, 2025 को आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड के अनुरोध पर महागुन के खिलाफ दिवाला याचिका को स्वीकार कर लिया था। इसमें रियल्टी कंपनी पर 256.48 करोड़ रुपये की चूक का आरोप लगाया गया था।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
