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Tuesday, 19 November, 2024
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संशोधित मानकों से एनबीएफसी का फंसा कर्ज तीसरी तिमाही में 1.5 प्रतिशत बढ़ाः रिपोर्ट

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मुंबई, चार मार्च (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मानकों में संशोधन होने से गैर-बैंकिंग कर्जदाताओँ की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) यानी फंसा कर्ज दिसंबर तिमाही में 1.50 प्रतिशत बढ़कर 6.80 प्रतिशत पर जा पहुंचा।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई के मानकों में अगर बदलाव नहीं हुआ रहता तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के जीएनपीए में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 0.30 प्रतिशत का सुधार दर्ज किया गया होता।

हालांकि एनबीएफसी के जीएनपीए में आने वाले समय में गिरावट आने की संभावना है। वित्तीय कंपनियों के संग्रह प्रक्रियाओं में मजबूती लाने और आर्थिक गतिविधि के भी सुधरने से क्रिसिल को आगे चलकर जीएनपीए सुधरने की उम्मीद है।

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एनबीएफसी के जीएनपीए पर यह असर आरबीआई के नियमों में दो अहम बदलाव होने का नतीजा है। आरबीआई के परिपत्र ने एनपीए की गणना महीने के अंत में करने के बजाय दैनिक आधार पर करना जरूरी कर दिया। इसके अलावा एनपीए के उन्नयन में सख्ती बढ़ाने से भी असर पड़ा है।

क्रिसिल की रिपोर्ट कहती है कि आरबीआई के परिपत्र का असर अलग-अलग खंडों में अलग है और स्वर्ण ऋण खंड मजबूत बना बना हुआ है। वहीं वाहन वित्त खंड में इसका प्रभाव इतना अधिक था कि एनपीए पांच प्रतिशत अंक तक बढ़ गया।

आरबीआई ने गत 15 फरवरी को एनपीए मानकों के निर्धारण के बारे में एक और परिपत्र जारी किया है। इसमें एनपीए मानक का क्रियान्वयन 30 सितंबर 2022 तक टालकर एनबीएफसी को अंतरिम समय देने का फैसला किया गया है। इसके लागू होने पर एनपीए की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।

क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक एवं उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि एनबीएफसी का जीएनपीए 31 मार्च, 2022 तक 1.5-2 प्रतिशत तक कम हो सकता है।’

भाषा

प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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