नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बुधवार को एमएसएमई से उत्पादों के निर्माण के दौरान स्वैच्छिक और अनिवार्य गुणवत्ता मानकों का अनुपालन करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने उनसे समस्याओं को साझा करने और उसका समाधान खोजने में अपनी ओर से अधिक सक्रिय होने का आग्रह किया।
यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए खरे ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और इसे हासिल करने में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम) की प्रमुख भूमिका होगी।
सचिव ने कहा कि एमएसएमई को अपनी समस्याओं को साझा करने में अपनी ओर से अधिक सक्रिय होने की जरूरत है और उद्योग से नए मानकों की मांग करने के साथ-साथ इन गुणवत्ता मानदंडों के निर्माण में भाग लेने को कहा।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं कि लोगों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलें। हाल ही में मौजूदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत करने और नई प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए 78 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
खरे ने कहा, ‘‘आखिरकार, कोई भी राष्ट्र जो विकास करता है, उसे अपने माल और सेवाओं की विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी होती है। इसमें कोई परहेज नहीं हो सकता, या गुणवत्ता की चिंता में कोई छूट नहीं दी जा सकती।’’
सचिव ने बताया कि जब भी मानक तैयार किए जाते हैं, तो उद्योग की ओर से शायद ही कोई भागीदारी होती है।
खरे ने कहा, ‘‘…शिक्षाविद, क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ…वास्तव में मानक ला रहे हैं, जबकि यह मानक, उद्योग के लिए और उद्योग द्वारा होने चाहिए…।’’ उन्होंने यह बात, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन इंडिया एसएमई फोरम द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कही।
सचिव ने उद्योग से मानकों के समयबद्ध निर्माण की मांग करने को कहा और आश्वासन दिया कि सरकार और उसके विभाग ऐसा करेंगे।
खरे ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) में मानकों को बहुत तेजी से तैयार करने की क्षमता है।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उद्योग के प्रतिभागी किसी भी कठिनाई के दौरान सहायता के लिए मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं, चाहे वह मानकों का निर्माण हो या परीक्षण सुविधा की स्थापना।
खरे ने कहा, ‘‘..हम इसे स्थापित करेंगे। हम नहीं चाहते कि आपको परेशानी हो।’’
सचिव ने कहा कि एमएसएमई को अधिक उत्तरदायी होना होगा।
खरे ने उद्योग प्रतिनिधियों से कहा, ‘‘भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तो एमएसएमई ही यह चमत्कार कर सकते हैं। इसलिए आप (एमएसएमई) मानकों का पालन किए बिना या उनके अनुरूप काम किए बिना यह चमत्कार नहीं कर सकते। इसलिए मानकों की मांग करें।’’
उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत को स्थानीय और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है।
खराब उत्पादों के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए, सचिव ने कहा कि भारत को देश में आयात किए जाने वाले घटिया माल को अस्वीकार करने के लिए मानकों की आवश्यकता है, क्योंकि इससे स्थानीय विनिर्माण उद्योग को नुकसान होता है।
खरे ने कहा, ‘‘यहां तक कि युगांडा और रवांडा में भी भारत की तुलना में अधिक क्यूसीओ (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश), अधिक तकनीकी विनियमन हैं। क्या आप फिर भी शिकायत करेंगे?’’
सचिव ने कहा कि अब भी 23,000 भारतीय मानक हैं जो पूरी तरह से स्वैच्छिक व्यवस्था में हैं।
उन्होंने कहा कि ये क्यूसीओ वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार और निर्यात बढ़ाने में मदद करते हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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