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Friday, 22 August, 2025
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मांग की कमी, विदेशों में नरमी से अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

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नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) कारोबारियों की कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से मांग की कमी तथा विदेशी बाजारों में नरमी रहने के बीच घरेलू तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। सुस्त कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव अपरिवर्तित बंद हुए।

शिकॉगो एक्सचेंज में भारी गिरावट है जबकि मलेशिया एक्सचेंज भी कमजोर चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि तेल कारोबारियों और आयातकों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वे जरूरत भर का ही सौदा खरीदने की स्थिति में हैं। पहले त्योहारी मांग से पहले ही वे स्टॉक जमा कर लेते थे लेकिन फिलहाल स्थिति बदल चुकी है। हालत यह है कि बैंकों में उन्हें ऋण साखपत्र (एलसी) चलाते रहने के लिए, लागत से कम दाम पर अपना माल बेचना पड़ रहा है। सोचने की बात यह है कि ऐसा उस देश में हो रहा है जहां जरूरत के लगभग 60 प्रतिशत मांग की पूर्ति, आयात के माध्यम से होती है।

सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए प्रमुख कच्चे माल की उपलब्धता सुधारने के मकसद से 30 सितंबर तक कच्चे कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी है। वित्त मंत्रालय की 18 अगस्त की अधिसूचना के अनुसार, शुल्क छूट 19 अगस्त से प्रभावी होगी और 30 सितंबर तक लागू रहेगी।

उन्होंने कहा कि इस कदम से अमेरिका को फायदा मिलने की उम्मीद है। इससे कपास उत्पादक किसानों की मुश्किलें और बढ़ेंगी जो पहले से ही मिलावटी बिनौला खल के झटकों से निकल नहीं पा रहे।

उन्होंने कहा कि कपास से निकलने वाले बिनौला सीड से खाद्य तेल के अलावा इससे लगभग 60 प्रतिशत बिनौला खल निकलता है जिसे मवेशियों के आहार के लिए उपयोग में लाया जाता है। मिलावटी खल के सस्ते दाम के कारण किसानों के विशुद्ध एवं महंगे बिनौला खल का सही दाम नहीं मिलता और इससे कपास बुवाई का काम भी प्रभावित हो रहा है।

सूत्रों ने कहा कि बाकी खाद्य तेलों से महंगा होने के कारण सरसों तेल की मांग अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। इस कारण सरसों तेल-तिलहन में गिरावट है। शिकॉगो एक्सचेंज के कमजोर रहने और सहकारी संस्था नेफेड की बिकवाली से सोयाबीन तेल-तिलहन में भी गिरावट आई। आयातित सीपीओ से देश में पामोलीन बनाने के बाद उसका दाम सोयाबीन तेल से एक बार फिर से 2-3 रुपये किलो ऊंचा हो गया है। इस वजह से मांग घटी है और इससे सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही। सुस्त कामकाज के बीच बिनौला तेल में भी गिरावट देखी गई।

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर बेहद सामान्य मांग और कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव स्थिर रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,225-7,275 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,700-6,075 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,610-2,710 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,610-2,745 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,750-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,450-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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