scorecardresearch
Friday, 1 November, 2024
होमदेशअर्थजगतMoSPI डेटा से खुलासा- असंगठित, गैर-कृषि क्षेत्र में 19% कार्यबल, लेकिन GDP में हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी

MoSPI डेटा से खुलासा- असंगठित, गैर-कृषि क्षेत्र में 19% कार्यबल, लेकिन GDP में हिस्सेदारी सिर्फ 6 फीसदी

कृषि क्षेत्र में 45% कार्यबल कार्यरत है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान केवल 15% है, इससे यह पुष्टि होती है कि भारत का दो-तिहाई कार्यबल कम उत्पादकता वाले कार्यों में संलग्न है।

Text Size:

रोम: नवीनतम सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत का दो-तिहाई कार्यबल असंगठित क्षेत्र में बहुत कम उत्पादकता वाली नौकरियों में कार्यरत हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में अनुपातहीन रूप से निम्न स्तर पर योगदान करते हैं.

जबकि कृषि क्षेत्र के आंकड़े अधिक आसानी से उपलब्ध हैं, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने पिछले सप्ताह 2021-22 और 2022-23 के लिए असंगठित क्षेत्र उद्यमों (ASUSE) के अपने वार्षिक सर्वेक्षण के परिणामों का सारांश देते हुए एक संक्षिप्त फैक्ट शीट जारी की, जो काफी गंभीर तस्वीर पेश करता है.

आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के असंगठित और गैर-कृषि क्षेत्र में औसतन दो से कम लोगों को रोजगार देने वाली छोटी इकाइयां शामिल हैं, और उनका योगदान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है, जबकि देश के 19 प्रतिशत कर्मचारी उनमें कार्यरत हैं.

सर्वेक्षण में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 और अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक चार लाख से अधिक गैर-कृषि, गैर-निगमित प्रतिष्ठानों को शामिल किया गया.

निष्कर्षों से पता चला कि भारत का असंगठित क्षेत्र कार्यबल को रोजगार देने में अपनी उच्च हिस्सेदारी के कारण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, लेकिन यह काफी छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा हुआ है और कम उत्पादकता वाला क्षेत्र है.

Illustrated by Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन । दिप्रिंट

दिप्रिंट ने असंगठित क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धित आंकड़ों की तुलना संबंधित अवधि में समग्र अर्थव्यवस्था के लिए MoSPI के जीडीपी आंकड़ों से की. विश्लेषण से पता चला कि 2022-23 में असंगठित क्षेत्र का योगदान जीडीपी का सिर्फ 6 प्रतिशत है. 2021-22 में इसका योगदान जीडीपी का 6.2 प्रतिशत था.

दूसरे विश्लेषण में असंगठित क्षेत्र में रोजगार पर ASUSE के आंकड़ों की तुलना MoSPI के देश में समग्र श्रम बल पर आंकड़ों से की गई – जो इसके आवधिक श्रम बल सर्वेक्षणों से लिया गया है. इस विश्लेषण के अनुसार, भारत के 56.7 करोड़ लोगों के कार्यबल का 19 प्रतिशत – 10.96 करोड़ श्रमिक – गैर-कृषि, असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं.

अलग से, MoSPI के आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र – जो काफी हद तक असंगठित है – भारत के लगभग 45 प्रतिशत श्रम बल को रोजगार देता है, लेकिन देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 15 प्रतिशत है.

साथ में, डेटा से पता चलता है कि भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी बहुत कम उत्पादकता वाले व्यवसायों में कार्यरत है.


यह भी पढ़ें: पंजाब के किसानों का गुस्सा वोटिंग पैटर्न को नहीं बदल पाता; UP, MP, राजस्थान इसके उदाहरण हैं 


बहुत सारी फर्म बहुत कम नौकरियां दे रही हैं

भारतीय असंगठित क्षेत्र की पहली मुख्य विशेषता यह है कि यहां बड़ी संख्या में प्रतिष्ठान हैं, लेकिन ये बहुत छोटे हैं, इसलिए यह संख्या नौकरियों में तब्दील नहीं होती है. सर्वे फैक्ट शीट के अनुसार, 2022-23 में लगभग 6.5 करोड़ प्रतिष्ठान थे जिनमें 10.96 करोड़ कर्मचारी थे.

इसका मतलब है कि असंगठित गैर-कृषि सेटिंग में कर्मचारियों या श्रमिकों की संख्या औसतन प्रति फर्म दो लोग भी नहीं हैं.

Illustrated by Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन | दिप्रिंट

भारतीय असंगठित क्षेत्र की पहली मुख्य विशेषता यह है कि यहां बड़ी संख्या में प्रतिष्ठान हैं, लेकिन ये बहुत छोटे हैं, इसलिए यह बहुत ज्यादा नौकरियां नहीं दे पाते हैं. सर्वे फैक्ट शीट के अनुसार, 2022-23 में 10.96 करोड़ श्रमिकों के साथ लगभग 6.5 करोड़ प्रतिष्ठान थे. इसका मतलब है कि असंगठित गैर-कृषि सेटिंग में कर्मचारियों या श्रमिकों की संख्या औसतन प्रति फर्म दो लोग भी नहीं है.

अखिल भारतीय स्तर पर प्रत्येक प्रतिष्ठान में कामगारों की औसत संख्या लगभग 1.69 है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक 100 फर्मों के लिए केवल 169 कर्मचारी हैं. ग्रामीण भारत में यह अनुपात 1.47 और शहरी क्षेत्रों में 1.95 है.

डेटा से यह भी पता चलता है कि अनौपचारिक क्षेत्र में किसी भारतीय प्रतिष्ठान द्वारा एक भी कर्मचारी को काम पर रखने की संभावना बहुत कम है.

रिपोर्ट के अनुसार, “किराए पर काम करने वाले प्रतिष्ठानों” की हिस्सेदारी, जिन्होंने “काफी नियमित आधार पर” कम से कम एक किराए पर काम करने वाले कर्मचारी को नियुक्त किया, 2022-23 में कुल फर्मों का केवल 15 प्रतिशत था. यह 2021-22 में ऐसी फर्मों के 14 प्रतिशत हिस्से से थोड़ा अधिक था.

ग्रामीण-शहरी विभाजन भी स्पष्ट हो गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक क्षेत्र के केवल 8 प्रतिशत प्रतिष्ठान कम से कम एक कर्मचारी को काम पर रखते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 23 प्रतिशत है.

दूसरे शब्दों में, इसका मतलब यह है कि असंगठित क्षेत्र के अधिकांश प्रतिष्ठान नियमित रूप से एक भी व्यक्ति को काम पर नहीं रखते हैं और, संक्षेप में, वे स्व-नियोजित यानि सेल्फ एंप्ल्वॉयड व्यक्ति हैं.

प्रति प्रतिष्ठान कम रोजगार सृजन के अलावा, असंगठित क्षेत्र बहुत कम उत्पादकता से ग्रस्त है.


यह भी पढ़ें: दो चुनावी राज्यों की कहानी: MP की तेज़ वृद्धि के बावजूद छत्तीसगढ़ बेहतर प्रदर्शन क्यों कर रहा है? 


प्रति प्रतिष्ठान, प्रति कर्मचारी खराब उत्पादकता

सकल मूल्य संवर्धन (GVA) किसी प्रतिष्ठान के अंतिम उत्पादन के मूल्य में से उस उत्पादन के उत्पादन में लगने वाली मध्यवर्ती लागत को घटाने पर प्राप्त होने वाला मूल्य है.

भारत में 10.96 करोड़ कर्मचारियों वाली 6.5 करोड़ फर्मों ने 2022-23 में केवल 15.42 लाख करोड़ रुपये का GVA बनाया. इसमें से 10 लाख करोड़ रुपये शहरी भारत से और 5.4 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण भारत से आए.

असंगठित क्षेत्र में प्रति कर्मचारी औसत जीवीए 2022-23 में लगभग 1.42 लाख रुपये था, जो 2021-22 में प्रति कर्मचारी 1.38 लाख रुपये से थोड़ा ही ज़्यादा था. क्षेत्रवार, डेटा से पता चला कि भारत के असंगठित विनिर्माण क्षेत्र में श्रमिक सबसे कम उत्पादक थे, जहां प्रति कर्मचारी जीवीए 1.18 लाख रुपये था.

Illustrated by Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन । दिप्रिंट

प्रति-कर्मचारी उत्पादकता व्यापार में अधिक (1.42 लाख रुपये) थी, और ‘अन्य सेवाओं’ (1.6 लाख रुपये) में सबसे अधिक थी. अन्य सेवाओं में परिवहन, सफाई, मरम्मत, आवास, चिकित्सा या शल्य चिकित्सा उपचार, शिक्षा, सूचना, सलाह, मनोरंजन या इसी तरह की सेवाएं, बीमा, वित्तीय मध्यस्थता, सुरक्षा या गारंटी शामिल हैं.

ग्रामीण-शहरी अंतर फिर से श्रमिकों की उत्पादकता में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.

वर्ष 2022-23 में शहरी असंगठित उद्यम क्षेत्र में एक श्रमिक द्वारा जोड़ा गया औसत जीवीए (1.76 लाख रुपये) ग्रामीण क्षेत्रों में एक श्रमिक द्वारा जोड़े गए औसत जीवीए (1.04 लाख रुपये) की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक था.

Illustrated by Soham Sen | ThePrint
चित्रणः सोहम सेन । दिप्रिंट

प्रतिष्ठानों के दृष्टिकोण से, असंगठित क्षेत्र की 38 प्रतिशत फर्म विनिर्माण में लगी हुई हैं, जो जीवीए का सिर्फ 24 प्रतिशत उत्पादन करती हैं. यह व्यापार में लगी हुई 35 प्रतिशत फर्मों से कम है, जो जीवीए में 36 प्रतिशत का योगदान देती हैं. केवल 27 प्रतिशत प्रतिष्ठान सेवा क्षेत्र में लगे हुए थे, जो असंगठित क्षेत्र के जीवीए का 40 प्रतिशत उत्पादन करते थे.

(निखिल रामपाल CVoter रिसर्च फाउंडेशन के विजिटिंग फेलो हैं. उनका एक्स हैंडल @NikhilRampal1 है.)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः पंजाब के किसानों का गुस्सा वोटिंग पैटर्न को नहीं बदल पाता; UP, MP, राजस्थान इसके उदाहरण हैं


 

share & View comments