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Friday, 22 November, 2024
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मोदी सरकार का अनुमान- 3 लाख करोड़ के एमएसएमई लोन का 15% एनपीए में बदल सकता है, बैंकों को डर आंकड़े इससे भी खराब होंगे

मोदी सरकार ने एमएसएमई के लिए ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों और एनबीएफसी को 100% क्रेडिट गारंटी का वादा किया है लेकिन बैंकरों का कहना है कि लोन निष्पादन (निपटारे) के लिए अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार महत्वपूर्ण है.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार का अनुमान है कि व्यवसायों और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए विशेष क्रेडिट लाइन के तहत घोषित 3 लाख करोड़ लोन का कम से कम 15 फीसदी बुरे लोन में बदल जाएगा.

कोलैटरल-फ्री ऋण योजना देश की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभावों से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा तैयार 21 लाख-करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा थी.

योजना के अनुसार, सरकार इन ऋणों पर किसी तरह के डिफाल्ट होने के मामले में सभी नुकसानों का वहन करेगी क्योंकि यह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को ऐसे ऋणों के लिए 100 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान करेगा.

25 करोड़ रुपये के बकाया ऋण के साथ और 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली सभी फर्म आपातकालीन क्रेडिट लाइन के तहत ऋण लेने के लिए पात्र हैं, बकाया ऋण के 20 प्रतिशत कैप के तहत.

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह योजना ना केवल उनके लिए है जो एमएसएमई के रूप में पंजीकृत हैं, बल्कि कोई भी व्यावसायिक उद्यम जो निर्धारित शर्तों को पूरा करता है फायदा उठा सकता है.

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘इसका मतलब है कि न केवल एमएसएमई बल्कि हॉस्पिटैलिटी, यात्रा और पर्यटन और अन्य सेवा क्षेत्रों के फर्म इस क्रेडिट सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. हमारे शुरुआती अनुमान के मुताबिक, इस सुविधा के तहत दिए गए ऋण का 15 प्रतिशत खराब लोन (एनपीए) में बदल सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यवसायों को पुनर्जीवित करने में कितना समय लगेगा.’

योजना कैसे काम करेगी

मोदी सरकार कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत सरकारी ट्रस्टी कंपनी नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कॉर्पोरेशन (NCGTC) के माध्यम से यह गारंटी प्रदान करेगी.

ऋणों का कार्यकाल चार वर्ष का होगा और और ब्याज दरों को 9.25 प्रतिशत पर कैप किया जाएगा या रखा जाएगा. उधारकर्ताओं को मूल राशि के भुगतान पर एक वर्ष की मोहलत भी दी गई है.

हालांकि, ऋण चुकाने पर छूट के कारण, एनपीए की स्थिति अगले वित्त वर्ष के अंत तक सामने आएगी.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस वित्तीय वर्ष में एनसीजीटीसी को पूंजी मुहैया कराएगा ताकि वह इन ऋणों की गारंटी आर्थिक समर्थन के वादे के तहत कर सके, लेकिन अगले साल के लिए पूंजी की आवश्यकता अधिक हो सकती है.


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आर्थिक गतिविधि महत्वपूर्ण

बैंकरों ने कहा कि इनमें से अधिक ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन सकते हैं यदि आर्थिक रिकवरी होने में अधिक समय लगता है और व्यवसायों को स्थायी रूप से बंद करने के लिए मजबूर किया जाता है तो.

पहचान ना जाहिर करने की शर्त पर मुंबई स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक अधिकारी ने कहा, ‘लॉकडाउन आखिर कब तक चलेगा? बड़े शहरों में आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में कितना समय लगेगा? अपने गांवों से मजदूर कब वापस आएंगे? अभी व्यवसायों के लिए बहुत अधिक अनिश्चितताएं हैं’.

बैंकिंग अधिकारी ने कहा, ‘एमएसएमई को जीवित रखना आसान नहीं रहने वाला, खासकर बड़ी कंपनियों से भुगतान में देरी के कारण उनके नकदी प्रवाह पर असर पड़ने से.’

‘बाकि व्यवसायों की तुलना में इस सेगमेंट में बुरे ऋण काफी अधिक हो सकते हैं और इस वजह से बैंक सतर्क रहे हैं. सरकार ने निश्चित तौर पर इसी वजह से बैंकों को अधिक ऋण देने को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्ण ऋण गारंटी का वादा किया है.’

इस महीने के शुरू में एक नोट में, केयर रेटिंग्स ने बताया कि हालांकि वर्तमान वर्ष में छूट के कारण एमएसएमई का एनपीए ताजा वर्ष में कम रहा है, वे ‘अगले वर्ष में इजाफा देख सकते हैं, खासकर अगर कारोबारी माहौल चुनौतीपूर्ण बनता है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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