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Sunday, 3 November, 2024
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मोदी सरकार ने गेहूं निर्यात पर लगाई रोक, किसान संगठनों ने कहा-यह हमारे ऊपर ‘अप्रत्यक्ष कर’ है

भारत कृषक समाज (बीकेएस) ने शनिवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का विरोध करते हुए बताया कि यह किसानों पर एक 'अप्रत्यक्ष कर' है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात को ‘वर्जित’ श्रेणी में रखकर उसकी निर्यात नीति में संशोधन किया है.

वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात जारी किए अपने एक आदेश में इसके निर्यात पर रोक लगा दी. सरकार ने ‘तत्काल प्रभाव’ से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.

सरकार ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा और पड़ोसी समेत अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.

मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा, ‘कई कारकों से गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक इजाफा हुआ है जिसके कारण भारत, पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में है.’

हालांकि, निर्यात की अनुमति उन शिपमेंट के मामले में दी जाएगी जहां अधिसूचना की तारीख जारी करने से पहले या इरेवोकेबल लेटर ऑफ क्रेडिट (आईएलओसी) जारी किया गया हो.

जानकारी के मुताबिक भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी.

वहीं, किसान संगठनों ने सरकार इस फैसला पर नाराजगी जाहिर की है. भारत कृषक समाज (बीकेएस) ने शनिवार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का विरोध करते हुए बताया कि यह किसानों पर एक ‘अप्रत्यक्ष कर’ है.

खबरों के मुताबिक, संगठन ने कहा कि किसान उच्च वैश्विक कीमतों का फायदा नहीं उठा पाएंगे, जबकि भारत एक विश्वसनीय ट्रेडिंग पार्टनर के तौर पर अपनी विश्वसनीयता खो सकता है.

उसने कहा कि भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. यह किसानों पर एक अप्रत्यक्ष कर है. इस तरह के फैसलों से फसल की कीमतें कम हो जाती हैं. किसानों को बढ़ती कीमतों का फायदा नहीं मिल पाता है लेकिन फसल उगाने की लागत पहले से बढ़ जाती है.


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