नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बृहस्पतिवार को लोक प्रशासन में संवेदना से भरे शासन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
सत्यार्थी ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की प्रमुख प्रशिक्षण अकादमी पीडीयूएनएएसएस की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में सत्यार्थी ने कहा कि सहानुभूति, गहन सुनवाई और नैतिक जवाबदेही की भावना पर आधारित शासन जिम्मेदार और प्रभावी संस्थानों के निर्माण के लिए आवश्यक है।
श्रम मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, सत्यार्थी ने अपने भाषण में इस बात पर चिंता जताई कि आधुनिक समाज अपना नैतिक विवेक खो रहा है और शासन प्रणाली में कृतज्ञता एवं मानवीय संबंध के नवीनीकरण की जरूरत है।
मंत्रालय की पहल ‘शासन की पुनर्कल्पना: उत्कृष्टता के लिए चर्चा’ (आरडीजीई) पहल की शुरुआत 2023 में ‘सुशासन दिवस- 25 दिसंबर’ पर हुई थी। यह देश में व्यावहारिक चर्चाओं के लिए अपने तरह के एक मंच के रूप में विकसित हुआ है, जो सार्वजनिक शासन में बढ़े हुए विश्वास और सच्ची उत्कृष्टता की खोज को बढ़ावा देता है।
आरडीजीई शृंखला के तहत आयोजित सत्र में देश भर के ईपीएफओ अधिकारियों और अधिकारियों ने ऑनलाइन माध्यम से शिरकत की। यह आरजीडीई श्रृंखला का लगातार सत्रहवां संस्करण था।
केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति ने अपने समापन भाषण में सभी ईपीएफओ अधिकारियों से अपने कामकाज में कम-से-कम एक ऐसा निर्णय लागू करने का आग्रह किया, जो करुणा के मूल्यों को दर्शाता हो।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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