scorecardresearch
Sunday, 17 November, 2024
होमदेशअर्थजगतमेट्रो कैश एंड कैरी के प्रबंध निदेशक ने कहा, किराना दुकानदारों का मार्जिन बढ़ाएं एफएमसीजी कंपनियां

मेट्रो कैश एंड कैरी के प्रबंध निदेशक ने कहा, किराना दुकानदारों का मार्जिन बढ़ाएं एफएमसीजी कंपनियां

Text Size:

नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अरविंद मेदिरत्ता ने दैनिक इस्तेमाल के उत्पाद बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों से छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए मार्जिन बढ़ाने पर विचार करने को कहा है।

मेदिरत्ता ने मार्जिन के समान वितरण का सुझाव देते हुए कहा पिछले कई वर्षों से खुदरा विक्रेताओं के लिए मार्जिन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एफएमसीजी कंपनियां अभी भी इसमें बदलाव कर सकती हैं।

उद्योग मंडल फिक्की और आईसीपीआरजी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मेदिरत्ता ने कहा, ‘‘एफएमसीजी कंपनियां हर साल रिकॉर्ड लाभ कमा रही है। मात्रा में जहां चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं लाभ 40 प्रतिशत बढ़ा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि कंपनियों ने पिछले 30 वर्षों में पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं के मार्जिन को स्थिर रखा है और इसमें खास बदलाव नहीं किया है।’’

उन्होंने कहा कि छोटे विक्रेताओं के लिए लाभ का मार्जिन बहुत समय से वही है जबकि उनकी परिचालन लागत बढ़ रही है। यह उन समस्याओं में से एक है जिसका सामना छोटे खुदरा विक्रेताओं को करना पड़ रहा है।

कंपनी के सीईओ एवं एमडी ने कहा, ‘‘हर तरह से लागत बढ़ गई है। वेतन भी बढ़ गया है लेकिन मार्जिन अभी भी उतना ही है और कई मामलों में तो यह कम भी हुआ है।

मेदिरत्ता के अनुसार, खुदरा क्षेत्र का भविष्य भौतिक और डिजिटल रूप में बदल रहा है। सरकार को आधुनिकीकरण के लिए संसाधनों की कमी वाले छोटे खुदरा विक्रेताओं को ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करनी चाहिए।

मेदिरत्ता ने यह भी बताया कि कुछ खुदरा विक्रेताओं को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है, लेकिन किराना और स्थानीय दुकानों को खुदरा व्यापार क्षेत्र से बाहर करने के लिए एफएमसीजी कंपनियां अपने उत्पादों पर क्रॉस-सब्सिडी दे रही हैं। क्रॉस-सब्सिडी से आशय यह है कि किसी एक समूह को कम दर पर उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए दूसरे से अधिक कीमत वसूली जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश में एक खुदरा नीति चाहिए। कई वर्षों से फिक्की, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) इस पर काम कर रहे हैं। हमारे पास एक खुदरा नीति का मसौदा है, जिसे सरकार के सामने रखा गया है लेकिन इसे अभी तक औपचारिक रूप नहीं दिया गया है।’’

भाषा जतिन अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments