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Sunday, 22 December, 2024
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भारत में 2022 में हर 5 में से 1 से भी कम महिलाएं स्टार्टअप चला रहीं, हालांकि 2017 से काफी अधिक

गैर-लाभकारी एसीटी की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2017 में महिलाओं के नेतृत्व में कुल 10% स्टार्टअप थे, जो 2022 में बढ़कर 18% हो गए. इसमें कहा गया है कि महिला संस्थापकों द्वारा महिला कर्मचारियों के सामने आने वाले चुनौतियों को एड्रेस करने की अधिक संभावना है.

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नई दिल्ली : भारत में स्टार्टअप्स की संख्या 2017 में 6,000 से बढ़कर 2022 में 80,000 हो गई है, एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि 2017 में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप की हिस्सेदारी इस वृद्धि के साथ तालमेल नहीं रख पाई है.

2017 में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप 10 प्रतिशत थे और 2022 में कुल महज 18 प्रतिशत हैं- यानि कि हर 5 स्टार्टअप में से एक से भी कम. जब यूनिकॉर्न की बात आती है तो यह लैंगिक असमानता और ज्यादा स्पष्ट हो जाती है- स्टार्टअप्स का वैल्यू अभी 1 बिलियन डॉलर से अधिक है.

‘भारत में महिलाएं स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट (WISER)’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है, जो गैर-लाभकारी संगठन ACT फॉर वुमेन ने द उदैती फाउंडेशन के सहयोग और क्रेया विश्वविद्यालय में मैकिन्से और LEAD के साथ साझेदारी में किया गया है.

रिपोर्ट का उद्देश्य रोजगार के स्तरों पर लिंग विविधता को समझना और उन सर्वोत्तम प्रैक्टिस पर प्रकाश डालना है, जिन्होंने महिलाओं की भागीदारी को बेहतर बनाने में मदद की है.

रिपोर्ट 200 से अधिक स्टार्टअप, 111 संस्थापकों, 117 मुख्य मानव संसाधन अधिकारियों (सीएचआरओ) और 755 स्टार्टअप कर्मचारियों के सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें पाया गया कि 2017 में केवल 8 प्रतिशत यूनिकॉर्न में एक महिला संस्थापक थी, ये यूनिकॉर्न 2022 में बढ़कर 17 प्रतिशत हो गए.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2022 में 8.6 लाख के कुल स्टार्टअप कार्यबल में 35 प्रतिशत महिलाएं थीं. हालांकि, यह भविष्यवाणी की गई है कि 2030 तक यह अनुपात बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा – जिससे स्टार्टअप में महिलाओं के लिए 20 लाख नौकरियां पैदा होंगी.

महिला लीडर्स कई सारे फायदे लाती हैं

WISER रिपोर्ट एक स्टार्टअप में महिला लीडर होने के कई लाभों पर प्रकाश डालती है – लैंगिक संतुलन में सुधार और कामकाजी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति संवेदनशील नीतियों को लागू करने में.

सर्वेक्षण में पाया गया कि कम से कम एक महिला संस्थापक वाले स्टार्टअप में कई तरह के कामों में महिलाओं का प्रतिशत अधिक था.

उदाहरण के लिए, 2022 में इन स्टार्टअप्स के सेल्स विभागों में औसतन 28 प्रतिशत महिलाएं थीं, जबकि वहीं केवल पुरुष संस्थापकों वाले स्टार्टअप्स में यह आंकड़ा 23 प्रतिशत था.

उत्पाद विकास, ग्राहक सेवा और विशेष रूप से अनुसंधान और विकास में (जहां महिलाओं के प्रतिनिधित्व में अंतर 15 प्रतिशत अंक था) समान अंतर देखा गया.

रिपोर्ट में कहा गया है, “इसके अतिरिक्त, पुरुष-संस्थापक वाले स्टार्टअप की तुलना में महिला संस्थापक वाले स्टार्टअप में वरिष्ठ भूमिकाओं में 2.5 गुना महिलाएं हैं.”

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि महिला संस्थापक न केवल महिला कर्मचारियों के सामने आने वाली बाधाओं के बारे में अधिक जागरूक थीं, बल्कि उन समस्याओं को एड्रेस करने के लिए नीतियां पेश करने की भी अधिक संभावना थी.

उदाहरण के लिए, केवल 16 प्रतिशत पुरुष संस्थापकों ने माना कि ‘सुरक्षा और देखभाल के बुनियादी ढांचे में आवश्यक निवेश’ महिलाओं के लिए एक बाधा है, 29 प्रतिशत महिला संस्थापकों ने स्वीकार किया – हालांकि यह भी एक कम अनुपात है.

इसी तरह, 40 प्रतिशत महिला संस्थापकों की तुलना में, केवल 32 प्रतिशत पुरुष संस्थापकों ने माना कि मातृत्व अवकाश से संबंधित मुद्दे महिला कर्मचारियों के लिए बाधा बन सकते हैं.

पुरुष और महिला संस्थापकों की धारणा के बीच सबसे बड़ा अंतर लचीलेपन और मोबिलिटी की जरूरतों को लेकर था. जबकि 46 प्रतिशत महिला संस्थापकों ने माना कि यह महिला कर्मचारियों के लिए एक बाधा हो सकती है, वहीं केवल 26 प्रतिशत पुरुष संस्थापकों ने यो बात मानी.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला संस्थापक वाले आधे स्टार्टअप्स ने लचीले कार्य दिवसों की पेशकश की, दो-तिहाई ने लचीले काम के घंटों की पेशकश की, और एक चौथाई ने नई माताओं के लिए काम पर वापस आने के कार्यक्रम की पेशकश की. हालांकि, इस बात पर कोई डेटा नहीं था कि इन संख्याओं की तुलना केवल पुरुष संस्थापकों वाले स्टार्टअप्स से कैसे की गई.

(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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