नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) सर्दियों की मांग के कारण सरसों पक्की एवं कच्ची घानी तेल में मामूली सुधार दर्ज होने के अलावा विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूटने के बीच बीते सप्ताह देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बाकी सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। सरसों तिलहन और सरसों दादरी तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरसों की दैनिक खपत 3.5-4 लाख बोरी की है और मौजूदा समय में हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं द्वारा सरसों की संतुलित बिकवाली के कारण सरसों आपूर्ति की दिक्कत नहीं हो रही। विदेशों में खाद्य तेलों के दाम जिस कदर टूटे हैं, उस हिसाब से उसका यहां अधिक असर नहीं हुआ है। इस स्थिति के बीच सरसों दाना (तिलहन) और सरसों दादरी तेल के दाम पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही बने रहे, जबकि सरसों पक्की एवं कच्ची घानी तेल के दाम में पांच-पांच रुपये क्विंटल का मामूली सुधार दर्ज हुआ।
सूत्रों ने कहा कि कमजोर निर्यात मांग तथा बिनौला एवं सोयाबीन के दाम नीचे रहने की वजह से मूंगफली की मांग कमजोर है। मूंगफली खप नहीं रही है। बिनौला और मूंगफली तेल की ज्यादातर खपत गुजरात में होती है। मांग कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट रही।
सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से सोयाबीन की तो खरीद की जा रही है, लेकिन किसानों को भी पता है कि उनकी पूरी उपज को खरीदना मुश्किल है। सरकारी खरीद एक फौरी उपाय तो हो सकता है, लेकिन यह कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। देशी तेल-तिलहन का बाजार विकसित करना ही इसका स्थायी समाधान हो सकता है। विदेशों में खाद्य तेलों के दाम टूटने के बीच देश में सोयाबीन तेल-तिलहन कीमत में पर्याप्त गिरावट दर्ज हुई।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह से पहले सीपीओ का दाम 1,270-1,275 डॉलर प्रति टन था जो बीते सप्ताह घटकर 1,180-1,185 डॉलर प्रति टन रह गया। सीपीओ का घटा हुआ दाम अब भी सोयाबीन से लगभग 10 रुपये किलो ऊंचा बैठता है। इस भाव में कहीं भी सीपीओ, पामोलीन का खपना मुश्किल है। इस स्थिति के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ एवं पामोलीन तेल के दाम में गिरावट देखी गई।
उन्होंने कहा कि विदेशों में खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में आई गिरावट का कुछ असर देशी तेल-तिलहन पर भी देखने को मिला। विदेशों में सोयाबीन टूटने के कारण सारे तेल-तिलहन की तरह बिनौला तेल के दाम में भी गिरावट रही। बिनौले में 10-11 प्रतिशत ही तेल निकलता है जबकि बाकी खल निकलते हैं।
सूत्रों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कपास नरमा का बना-बनाया बाजार था लेकिन वायदा कारोबार की आड़ में बिनौला खल का दाम तोड़कर किसानों के कपास नरमा को ‘लूटने’ की जो कोशिश हुई, उससे बना-बनाया बाजार ध्वस्त हो गया। इसी वायदा कारोबार की वजह से हरियाणा, पंजाब में जिस कपास नरमा का भाव पहले 8,000-8,200 रुपये क्विंटल था वह वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम तोड़े जाने की वजह से घटकर 6,800-7,000 रुपये क्विंटल रह गया है। सरकार को खाद्य तेल-तिलहनों के वायदा कारोबार को स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर देना चाहिये।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर पूर्ववत बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 13,525 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित रहा। लेकिन जाड़े की मांग की वजह से सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 5-5 रुपये के मामूली सुधार के साथ क्रमश: 2,265-2,365 रुपये और 2,265-2,390 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 50-50 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,175-4,225 रुपये और 3,875-3,975 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 550 रुपये, 550 रुपये और 500 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 12,950 रुपये, 12,700 रुपये और 8,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट देखने को मिली। मूंगफली तिलहन का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 5,825-6,150 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ, वहीं मूंगफली तेल गुजरात 400 रुपये की गिरावट के साथ 14,050 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 2,150-2,430 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
मलेशिया में दाम टूटने की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 600 रुपये घटकर 12,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 600 रुपये की गिरावट के साथ 13,800 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 650 रुपये की गिरावट के साथ 12,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 550 रुपये की गिरावट के साथ 11,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश
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