नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि हाल ही में मंजूर 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन में समुद्र से दूर स्थलरुद्ध राज्यों को विशेष सहायता दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसमें निर्यात क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए लक्षित योजनाएं शामिल की जाएंगी। मंत्री ने निर्यात बढ़ाने के लिए मजबूत केंद्र-राज्य साझेदारी की बात भी कही।
बीओटी का पुनर्गठन 2019 में किया गया था और यह बोर्ड विदेश व्यापार नीति से संबंधित नीतिगत उपायों पर शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में काम करता है।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गोयल ने यहां चौथी व्यापार बोर्ड (बीओटी) बैठक में कहा कि राज्यों से मिले सुझावों के आधार पर मंत्रालय संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर उभरती चुनौतियों का प्रभावी और समयबद्ध समाधान निकालेगा।
गोयल ने बताया कि निर्यात संवर्धन मिशन के तहत स्थलरुद्ध राज्यों को निर्यात क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए लक्षित योजनाएं शामिल की जाएंगी।
ऊंचे अमेरिकी शुल्कों से निर्यातकों को राहत दिलाने और व्यापार मोर्चे पर वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए सरकार ने 12 नवंबर को 2025-26 से शुरू होने वाले छह वित्त वर्षों के लिए 25,060 करोड़ रुपये की निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी थी।
यह मिशन दो उप-योजनाओं निर्यात प्रोत्साहन (10,401 करोड़ रुपये) और निर्यात दिशा (14,659 करोड़ रुपये) के माध्यम से लागू किया जाएगा।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड और तेलंगाना भूमि से घिरे राज्यों में शामिल हैं
गोयल ने दोहराया कि भारत की निर्यात नीति अब बाजार विविधीकरण, लॉजिस्टिक सुधार, एमएसएमई सशक्तीकरण और तकनीक अपनाने पर केंद्रित है।
व्यापार बोर्ड की बैठक में वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने मंत्रालय की तीन बड़ी प्रतिबद्धताओं… व्यापार के लिए डिजिटल सार्वजनिक ढांचे को मजबूत करना, व्यापार से जुड़ी समस्याओं का तेजी से समाधान करना और विभिन्न सरकारी विभागों के बीच बेहतर तालमेल… पर जोर दिया।
बैठक में छोटी कंपनियों या विनिर्माता समूहों को डंपिंग की शिकायत करने के लिए कानूनी मदद देने का सुझाव दिया गया, ताकि वे डीजीटीआर में आसानी से मुकदमा दायर कर सकें।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ”बहुत से छोटे-मध्यम उद्योगों को गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का पालन करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि कम से कम एक साल तक निरीक्षकों को दंड देने के बजाय सलाहकार की भूमिका निभानी चाहिए।”
उन्होंने बताया कि श्रम संहिताओं में वेतन से जुड़े बदलावों की वजह से कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और कृषि आधारित उद्योग जैसे श्रम आधारित निर्यात क्षेत्रों की लागत पांच से छह प्रतिशत बढ़ गई है।
भाषा पाण्डेय रमण
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