नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) देश में वर्ष 2025 तक पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए 1,016 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त कच्चा माल है, लेकिन तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की नीतियों और अन्य कारणों की वजह से इथेनॉल का उत्पादन कम हो रहा है। चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन इस्मा ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
संसद सदस्यों (सांसद) के समक्ष एक प्रस्तुति में, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि चालू (2022) वर्ष में पेट्रोल के साथ लगभग 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का स्तर हासिल करने की उम्मीद है। वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
इस्मा महानिदेशक ने कहा कि 20 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, लगभग 1,016 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी, और जिसके लिए कच्चा माल उपलब्ध है। लेकिन मिलों के आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा ओएमसी (तेल विपणन कंपनियों) की भंडारण क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने क्षमता निर्माण के लिए प्रोत्साहित करने वाली नीतियां बनाई हैं, लेकिन बैंक ऋण में देरी बाधाएं पैदा कर रही है। इसके अलावा, ओएमसी की नीतियां ‘प्रतिबंधकारी’ बनी हुई हैं।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने वर्ष 2018 से ब्याज सहायता योजनाओं के तहत 983 परियोजनाओं को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है, जिन्हें नए निवेशकों के लिए बार-बार बढ़ाया गया है।
दूसरी ओर, ओएमसी – जिन्होंने अगस्त 2021 में 648 लीटर की अतिरिक्त क्षमता निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं – ने लगभग 400 करोड़ लीटर वार्षिक क्षमता के लिए 131 परियोजना समर्थकों को मंजूरी दी है।
इस्मा के महानिदेशक ने कहा, हालांकि, अगर दो शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो बैंक ऋण मंजूर करने को तैयार नहीं हैं। एक खाद्य मंत्रालय की सैद्धांतिक मंजूरी है, दूसरा ओएमसी और परियोजना समर्थकों के बीच दीर्घकालिक द्विपक्षीय खरीद समझौते (बीपीए) है।
इस प्रकार, केवल 67 परियोजनाएं ही बैंकों के दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र हैं, उन्होंने कहा कि कुछ को बैंकों द्वारा ऋण के योग्य नहीं पाया जा सकता है।
क्षमता निर्माण के लिए वित्त की समस्या को दूर करने के लिए, इस्मा ने कहा कि कंपनियों द्वारा आवेदन करने की तारीख से सात दिनों के भीतर बैंक ऋण के लिए आवश्यक अनुमोदन दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा, क्षमता निर्माण की गति में एक बड़ी गिरावट देखी जाएगी, और वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।’’
उद्योग निकाय ने यह भी कहा कि देश भर में ओएमसी के डिपो में भंडारण क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। यहां तक कि भारतीय रेलवे नेटवर्क और पाइपलाइन बिछाना भी महत्वपूर्ण होगा।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
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