नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश जुलाई के अंत में घटकर 75,725 करोड़ रुपये रह गया। यह लगभग दो साल का निचला स्तर है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में तेजी से बढ़ोतरी के चलते यह कमी हुई है।
यह लगातार तीसरा महीना हैं, जब पी-नोट्स के जरिये निवेश में गिरावट हुई।
पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो खुद सीधे पंजीकृत हुए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश जुलाई के अंत में 75,725 करोड़ रुपये था। इसमें इक्विटी, ऋण और हाइब्रिड प्रतिभूतियां शामिल हैं। जून के अंत में यह आंकड़ा 80,092 करोड़ रुपये था।
जुलाई का आंकड़ा अक्टूबर, 2020 के बाद से सबसे निचला स्तर है। अक्टूबर, 2020 में पी-नोट्स के जरिये निवेश 78,686 करोड़ रुपये था।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के अमर रानू ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में पी-नोट्स के जरिये पूंजी बाजार में निवेश में कमी हुई है। इसकी बड़ी वजह भारत सहित उभरते बाजारों से वैश्विक पूंजी की निकासी है।
भाषा अजय पाण्डेय अजय
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