नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) नई अंतरिक्ष नीति लाने की सरकार की तैयारियों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप की सफलता के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर स्पष्टता होना काफी अहम है। इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने इस पर जोर दिया है।
अंतरिक्ष गतिविधियों में कारोबार को सुगम बनाने के लिए सरकार नई अंतरिक्ष नीति लाने की कोशिशों में जुटी हुई है। इस नीति से जुड़े विचार-विमर्श का दौर अंतिम चरण में है और इससे इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए काम करने का खाका तैयार होने की उम्मीद है।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) के चेयरमैन जयंत पाटिल ने इस मुद्दे पर आयोजित एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद इसके क्रियान्वयन के लिए अंतरिक्ष नीति से कानूनी समर्थन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सक्रिय स्टार्टअप के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का मसला बहुत परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘क्या इन स्टार्टअप द्वारा विकसित उत्पादों का बौद्धिक संपदा अधिकार उनके पास ही रहेगा या वह सरकार के पास ही जाएगा? इस पहलू पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘सरकार के तौर पर बौद्धिक संपदा पर समूचा अधिकार उसका ही नहीं हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो फिर स्टार्टअप के लिए वह अधिकार किसी काम का नहीं होगा।’
सरकार ने दो साल पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए इसके दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए थे।
इस मौके पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने स्टार्टअप फर्मों से कहा कि उन्हें किसी भी उद्यम में आगे बढ़ने के पहले अपने उत्पादों के लिए खरीदारों एवं उपभोक्ताओं की पहचान करनी चाहिए।
भाषा प्रेम प्रेम
प्रेम
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.