scorecardresearch
Thursday, 14 November, 2024
होमदेशअर्थजगतजूट यूनियनों का उद्योग, श्रमिकों की आजीविका बचाने के लिए कपड़ा मंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह

जूट यूनियनों का उद्योग, श्रमिकों की आजीविका बचाने के लिए कपड़ा मंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह

Text Size:

कोलकाता, 18 जनवरी (भाषा) नौ प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर जूट उद्योग के संकट पर उनका ध्यान आकर्षित किया है। यूनियनों का कहना है कि जूट उद्योग पर संकट से श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

हाल के एक पत्र में यूनियनों ने पश्चिम बंगाल की जूट मिलों में बड़े पैमाने पर तालाबंदी या काम के निलंबन का उल्लेख किया और मिल श्रमिकों, उत्पादकों और उद्योग से जुड़े अन्य लोगों की आजीविका की रक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई की मांग की।

बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के महासचिव अनादी साहू ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘हमने केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल के हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है।’’

मजदूरों के प्रतिनिधियों ने पत्र में कहा कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरी का भुगतान न होने, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और कई मिलों में बार-बार तालाबंदी / काम के निलंबन के कारण पिछले दो वर्षों में श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हुई है।

जिन यूनियनों ने संयुक्त रूप से मंत्री को पत्र लिखा है उनमें सीटू, इंटक, एटक, बीएमएस और एचएमएस शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है, “जूट मिल के नियोक्ताओं ने इस बीच में पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से कच्चे जूट की अनुपलब्धता के आधार पर कई मिलों में तालाबंदी या काम के निलंबन की घोषणा की है। इससे एक लाख से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इस घटनाक्रम से अवगत कराया गया है।

केंद्र ने जूट मिलों के कच्चे जूट के उचित मूल्य को मौजूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप 7,200 रुपये प्रति क्विंटल करने के अनुरोध को ठुकरा दिया था।

पत्र में कहा गया है कि चूंकि जूट मिल के कर्मचारी अचानक तालाबंदी या मिलों में काम के निलंबन के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, इसलिए वे छंटनी भत्ते के हकदार हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments