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Saturday, 28 December, 2024
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गैर-बिजली क्षेत्रों को कोयला आपूर्ति घटने से उद्योग संकट में, प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

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नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) गैर-बिजली क्षेत्रों को कोयले की घटती आपूर्ति को लेकर विभिन्न उद्योग संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है।

गैर-बिजली क्षेत्र का कहना है कि उन्हें रेल के अलावा सड़क तथा सड़क-सह रेल (आरसीआर) मार्ग से कोयले की आपूर्ति काफी घट गई है, जिसके कई क्षेत्रों के लिए काफी ‘विनाशकारी’ स्थिति पैदा हो गई है।

इन उद्योग संगठनों ने सामूहिक रूप से प्रधानमंत्री को इस बारे में ज्ञापन दिया है।

ज्ञापन में कहा गया है कि उर्वरक विनियमित क्षेत्र के तहत आता है, ऐसे में स्वदेशी स्रोतों से आपूर्ति घटने के कारण इस क्षेत्र को भी काफी नुकसान हो रहा है।

इन उद्योग संगठनों में भारतीय एल्युमीनियम संघ, भारतीय कोयला उपभोक्ता संघ, भारतीय कपड़ा उद्योग महासंघ, इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, स्पॉन्ज आयरन विनिर्माता संघ और भारतीय उर्वरक संघ शामिल हैं।

ज्ञापन में कहा गया है कि बिजली क्षेत्र को कोयला रैक की नियमित आपूर्ति ने देश के बिजली संयंत्रों में शुष्क ईंधन का भंडार बढ़ाने में मदद की है, लेकिन विभिन्न उद्योग संगठनों द्वारा बार-बार मांग किए जाने के बावजूद उन्हें कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ाई गई है। पिछले कुछ सप्ताह से रेल के साथ-साथ सड़क और सड़क-सह-रेल (आरसीआर) मार्ग से आपूर्ति में और कटौती ने ऐसे उपभोक्ताओं का संकट और बढ़ा दिया है।

इन उद्योग संगठनों का कहना है कि एल्युमीनियम, सीमेंट, स्टील, स्पॉन्ज-आयरन, कागज, उर्वरक, रसायन, रेयान और और उनके खुद के इस्तेमाल वाले बिजली संयंत्र घरेलू कोयला आपूर्ति पर निर्भर हैं। विनिर्माण के लिए वे घरेलू कोयले का ही इस्तेमाल करते हैं और आपूर्ति घटने की वजह से उनका संकट बढ़ रहा है।

वहीं कोल इंडिया ने शनिवार को कहा था कि वह गैर-बिजली क्षेत्र को प्रतिदिन 3.4 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर रही है और क्षेत्र को यह कंपनी की आपूर्ति का औसत स्तर है। कोल इंडिया ने यह भी कहा है कि उसके पास पर्याप्त ‘बफर स्टॉक’ है जिससे इन क्षेत्रों को आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।

भाषा अजय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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