नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा विनिर्माता संघ (इस्मा) ने मंगलवार को कहा कि विपणन वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों में भारत का चीनी उत्पादन 43 प्रतिशत बढ़कर 41.1 लाख टन हो गया, जिसकी वजह महाराष्ट्र से अच्छा उत्पादन होना है।
एक साल पहले इसी समय में उत्पादन 28.8 लाख टन था। विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है।
इस्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘खेत स्तर की जानकारियों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में प्रमुख राज्यों में गन्ने की पैदावार बेहतर हुई है और चीनी की प्राप्ति का दर बेहतर हुई है, क्योंकि देश भर में गन्ने की पेराई में तेजी आई है।’’
इस साल चालू फैक्ट्रियों की संख्या पिछले साल की इसी अवधि के 376 से बढ़कर 428 हो गई।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में नवंबर तक उत्पादन 14 लाख टन तक पहुंच गया, जो एक साल पहले 12.8 लाख टन था।
दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन पिछले साल इसी समय के 4.6 लाख टन से बढ़कर 16.9 लाख टन हो गया।
इस्मा ने कहा कि तीसरे सबसे बड़े राज्य कर्नाटक में उत्पादन 8,12,000 टन से घटकर 7,74,000 टन रह गया, जबकि किसानों के विरोध के कारण शुरुआती रुकावटों के बाद पेराई काम में तेज़ी आई। इस साल अब तक गुजरात में 92,000 टन और तमिलनाडु में 35,000 टन का उत्पादन हुआ है।
इस्मा ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की मांग की, जो उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद छह साल से ज़्यादा समय से नहीं बदला है।
उद्योग निकाय ने कहा कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में गन्ने की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के बाद पूरे भारत में उत्पादन की औसत लागत बढ़कर 41.72 रुपये प्रति किग्रा हो गई है।
इस्मा ने कहा, ‘‘मिलों को सही लाभ और किसानों को समय पर भुगतान पक्का करने के लिए एमएसपी बढ़ाना ज़रूरी है।’’
इसने वर्ष 2025-26 के लिए तीन करोड़ 9.5 लाख टन शुद्ध चीनी उत्पादन होने का अनुमान लगाया है, जिसमें एथनॉल बनाने के लिए ‘डायवर्जन’ (स्थानांतरण) शामिल नहीं है, जबकि पिछले साल असल उत्पादन दो करोड़ 61.1 लाख टन था।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
