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Wednesday, 12 November, 2025
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भारत वैश्विक तेल मांग वृद्धि में बनेगा प्रमुख केंद्र: आईईए

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नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने बुधवार को कहा कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता देश, भारत अगले दशक में तेल की मांग में वृद्धि का नया केंद्र होगा।

उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, भारत में ऊर्जा की मांग सबसे तेजी से बढ़ रही है। इसका 2035 तक हर साल औसतन तीन प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

पेरिस स्थित एजेंसी ने अपने नवीनतम वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में कहा कि 2035 तक वैश्विक तेल खपत में सबसे ज्यादा वृद्धि भारत में होगी। इसका कारण तेज आर्थिक विस्तार, औद्योगीकरण और वाहनों की बढ़ती संख्या है।’’

देश की ऊर्जा की बढ़ती मांग चीन और दक्षिण पूर्व एशिया की संयुक्त मांग से भी ज्यादा होगी। यह वैश्विक तेल बाजारों को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

आईईए ने कहा, ‘‘वर्तमान नीति परिदृश्य को देखते हुए 2050 तक तेल प्रमुख ईंधन बना रहेगा। पिछले 10 वर्षों में तेल की मांग में 75 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि चीन में हुई है, लेकिन यह तस्वीर बदल रही है और भारत तेल की मांग में वृद्धि का नया केंद्र बन रहा है।’’

एजेंसी के अनुसार, ‘‘अगले 10 वर्षों में वैश्विक तेल मांग वृद्धि में भारत अग्रणी रहेगा। 2035 तक वैश्विक स्तर पर उत्पादित अतिरिक्त बैरल का लगभग आधा हिस्सा भारत को जाएगा।’’

कारों की संख्या में तेज वृद्धि, प्लास्टिक, रसायन और विमानन की बढ़ती मांग और खाना पकाने के लिए तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के उपयोग में वृद्धि के परिणामस्वरूप, भारत का तेल उपयोग बढ़कर 2035 में 80 लाख बीपीडी हो जाएगा जो 2024 में 55 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में तेल की मांग 2035 तक 20 लाख बीपीडी बढ़ जाएगी जो किसी भी देश में सबसे बड़ी वृद्धि है और यह 2050 तक बढ़ती रहेगी। 2035 तक अगली सबसे बड़ी वृद्धि अफ्रीका (12 बीपीडी) और दक्षिण पूर्व एशिया (10 लाख बीपीडी) में होगी।’’

सीमित घरेलू उत्पादन के साथ, इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत की आयात पर निर्भरता और बढ़ेगी।

आईईए ने अनुमान लगाया है कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों के बावजूद, भारत में आयात पर निर्भरता बढ़कर 2035 में 92 प्रतिशत हो जाएगी जो 2024 में 87 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्राकृतिक गैस की मांग 2035 तक लगभग दोगुनी होकर 140 अरब घन मीटर (बीसीएम) हो जाएगी। इसका कारण शहरी गैस वितरण क्षेत्र में वृद्धि है। इसका अधिकांश हिस्सा तरल ईंधन (तरलीकृत प्राकृतिक गैस या एलएनजी) के आयात से पूरा किया जाएगा। प्राकृतिक ईंधन का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक उत्पादन, सीएनजी के रूप में वाहनों को ईंधन देने और घरेलू रसोई में खाना पकाने के लिए किया जाता है।

आईईए ने कहा, ‘‘2035 में, भारत 50 अरब घन मीटर एलएनजी का आयात करेगा। यह वर्तमान में 35 अरब घन मीटर है।’’

भारत में बिजली की मांग में भी तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है, जो 2024 और 2050 के बीच प्रति वर्ष चार प्रतिशत से अधिक की निरंतर वृद्धि के कारण 2050 तक लगभग 5,000 टीडब्ल्यूएच (टेरावाट घंटा) तक पहुंच जाएगी।

एलएनजी का आयात 2024 और 2035 के बीच लगभग तिगुना हो जाएगा।

रिपोर्ट में कोयले के बारे में कहा गया है कि भारत को छोड़कर सभी प्रमुख उत्पादक देशों में 2035 तक कोयला उत्पादन में गिरावट का अनुमान है। देश में कोयला उत्पादन 2035 तक लगभग पांच करोड़ टन कोयला समतुल्य बढ़ जाएगा। इसका कारण देश की कोयला आयात कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने की दीर्घकालिक रणनीति है। 2024 में कोयला उत्पादन लगभग 60 करोड़ टन कोयला समतुल्य तक पहुंच गया, जो 2022 से लगभग 10 करोड़ टन की वृद्धि है।

कुल मिलाकर, भारत को वैश्विक ऊर्जा… तेल, गैस, कोयला, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा… की मांग में वृद्धि के सबसे बड़े चालक के रूप में देखा जाता है।

आईईए के अनुसार, भारत ऊर्जा मांग वृद्धि में विश्व का सबसे बड़ा चालक बन गया है तथा अनुमान है कि 2035 तक खपत में 15 एक्साजूल (ऊर्जा की इकाई) से अधिक की वृद्धि होगी। यह चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया की संयुक्त वृद्धि के लगभग बराबर है।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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