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Tuesday, 24 September, 2024
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भारत ने कतर के साथ एलएनजी अनुबंध का नवीनीकरण किया, छह अरब डॉलर की बचत

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बेतुल (गोवा), छह फरवरी (भाषा) भारत ने मंगलवार को कतर से 20 साल के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात को लेकर अबतक का सबसे बड़ा 78 अरब डॉलर का समझौता किया। यह समझौता वर्तमान कीमत से कम भाव पर 2048 तक के लिए किया गया है जिससे अनुबंध अवधि के दौरान छह अरब डॉलर की बचत होने का अनुमान है।

भारत की सबसे बड़ी एलएनजी आयातक कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लि. ने बयान में कहा कि उसने यहां भारत ऊर्जा सप्ताह के दौरान कतर एनर्जी के साथ बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने और सीएनजी में परिवर्तित करने के लिए प्रति वर्ष 75 लाख टन गैस खरीदने के समझौते का विस्तार करने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

सूत्रों ने कहा कि सौदे का नवीनीकरण मौजूदा समझौते के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम दाम पर किया गया है। नई शर्तों के तहत वर्तमान भाव पर भारत को 0.8 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (यूनिट) की बचत होगी। इससे अनुबंध अवधि के दौरान कुल मिलाकर छह अरब डॉलर की बचत होगी।

रासगैस के साथ 1999 का सौदा पहला अनुबंध था जिसपर भारत ने क्रायोजेनिक जहाजों में तरल रूप में गैस के आयात के लिए हस्ताक्षर किये थे। 25-वर्षीय सौदे के तहत आपूर्ति 2004 में शुरू हुई और अनुबंध 2008 में समाप्त होना था। रासगैस का अब कतर एनर्जी में विलय हो गया है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘मुझे एलएनजी बिक्री और खरीद समझौते (एलएनजी एसपीए) को लेकर दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए ऊर्जा मामलों के राज्यमंत्री और कतर एनर्जी के डिप्टी चेयरमैन और अध्यक्ष तथा सीईओ साद शेरिदा अल-काबी के साथ मिलकर काफी खुशी हुई। पेट्रोनेट एलएनजी लि. और कतर एनर्जी के बीच लगभग 75 लाख सालाना टन एलएनजी की खरीद को लेकर समझौता हुआ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह अनुबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की यात्रा को गति प्रदान करेगा। भारत 2030 तक ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों में गैस की हिस्सेदारी छह प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करके गैस आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है।’’

भारत ने कतर सौदे के बाद ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस से एलएनजी खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए।

दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक कतर, 2027 तक अपनी ‘लिक्विफिकेशन’ क्षमता को 7.7 करोड़ टन से बढ़ाकर 12.6 करोड़ टन प्रति वर्ष करने की योजना बना रहा है। इस लिहाज से भारत के साथ समझौते का नवीनीकरण उसके लिए महत्वपूर्ण है।

सूत्रों ने कहा कि पेट्रोनेट वर्तमान में दो अनुबंधों के तहत कतर से प्रति वर्ष 85 लाख टन एलएनजी का आयात करती है। पहला 25 साल का समझौता 2028 में समाप्त होना है और अब इसे 20 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। 2015 में किये गये 10 लाख टन प्रति वर्ष के दूसरे समझौते पर अलग से बातचीत की जाएगी।

1999 में 75 लाख टन के सौदे के अनुसार, आपूर्ति अवधि समाप्त होने से पांच साल पहले नवीनीकरण पर सहमति होनी थी। इसकी समयसीमा दिसंबर, 2023 थी।

भाषा अजय रमण

अजय

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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