नयी दिल्ली/दुबई, 18 फरवरी (भाषा) भारत ने शुक्रवार को दुबई एक्सपो में देश के स्टार्टअप्स और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से प्रस्ताव आमंत्रित किए। इस प्रदर्शनी में देश ने अपने निवेश अनुकूल नीतियां और कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में विकास के अवसरों का प्रदर्शन किया।
दुबई एक्सपो में भारतीय मंडप में ‘खाद्य, कृषि और आजीविका’ पखवाड़े का उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिलाक्ष लिखी ने आश्वासन दिया कि इक्विटी अनुदान, प्रबंधन लागत और अन्य उपलब्ध सहायता उपायों को सुलभ कराने के लिए स्टार्टअप और एफपीओ के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा।
लेखी ने एक बयान में कहा, ‘‘दुबई एक्सपो 2020 में हमारी भागीदारी का प्राथमिक उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाना है, जिन्हें बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं, सामूहिकता और अधिक मंचों की आवश्यकता है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों से जुड़कर तालमेल बिठायें।’’
दो मार्च तक चलने वाले इस पखवाड़े के दौरान बाजरा, खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी, डेयरी, मत्स्य पालन, और जैविक खेती के प्रमुख विषयों और इन क्षेत्रों में निवेश के विशाल अवसरों के तहत विभिन्न गतिविधियों वाले एक श्रृंखला की योजना बनाई गई है।
इस अवसर पर कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव, शुभा ठाकुर ने कहा, ‘‘मोटा अनाज हमारे लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और हम मोटे अनाज के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलुओं के बारे में जानने और इसकी मांग को वापस लाने के लिए इस वैश्विक मंच का उपयोग करना चाहेंगे।’’
भारत सामान्यतः ज्ञात सभी नौ मोटे अनाज का उत्पादन करता है और विश्व स्तर पर मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में भारत द्वारा प्रायोजित और 70 से अधिक देशों के समर्थन से एक प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है।
भाषा राजेश राजेश रमण
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