नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर फॉर्म एक और चार को अधिसूचित किया है। इसके साथ सूचीबद्ध शेयरों से 1.25 लाख रुपये तक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ वाले व्यक्तियों के लिए रिटर्न दाखिल करना आसान बनाया गया है।
सरकार ने 80सी, 80जीजी और अन्य धाराओं के तहत दावा की गई कटौती के संबंध में फॉर्म में कुछ बदलाव किए हैं। साथ ही, करदाताओं को टीडीएस कटौती के संबंध में आईटीआर में खंडवार पूरा विवरण प्रस्तुत करना होगा।
एक बार जब आयकर विभाग द्वारा आईटीआर दाखिल करने की सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी, तो लोग वित्त वर्ष 2024-25 में अर्जित आय के लिए आईटीआर दाखिल करना शुरू कर सकते हैं। व्यक्तियों तथा जिन लोगों को अपने खातों का ऑडिट नहीं करवाना है, उनके लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है।
आम तौर पर, आईटीआर फॉर्म वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले फरवरी/मार्च के आसपास अधिसूचित किए जाते हैं। हालांकि, इस बार आईटीआर फॉर्म और दस्तावेज दाखिल करने की सुविधा में देरी हुई क्योंकि राजस्व विभाग के अधिकारी नए आयकर विधेयक में व्यस्त थे जिसे फरवरी में संसद में पेश किया गया था।
आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आईटीआर फॉर्म एक और चार उन व्यक्तियों और इकाइयों द्वारा दाखिल किए जाने हैं जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है।
अब वेतनभोगी व्यक्ति और अनुमानित कराधान योजना के तहत आने वाले वे लोग, जिनका एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक का दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) है, क्रमशः आईटीआर-1 और आईटीआर-4 दाखिल कर सकेंगे। पहले ऐसे व्यक्तियों/इकाइयों को आईटीआर-2 दाखिल करना होता था।
आयकर कानून के तहत, सूचीबद्ध शेयर और म्यूचुअल फंड की बिक्री से 1.25 लाख रुपये तक के एलटीसीजी को कर से छूट दी गई है। 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक के लाभ पर 12.5 प्रतिशत कर लगता है।
ईवाई इंडिया कर भागीदार समीर कनाबर ने कहा कि न्यूनतम एलटीसीजी वाले लोगों को आईटीआर-1 या आईटीआर-4 का उपयोग जारी रखने की अनुमति देने से अधिक जटिल फॉर्म को भरने का बोझ कम हो जाता है।
कनाबर ने कहा, ‘‘ यह कदम व्यक्तिगत करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाकर करदाता सेवाओं को बढ़ाने की दिशा में एक स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है। इस बदलाव से स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा मिलने, दस्तावेज दाखिल करने संबंधित तनाव कम होने और छोटे करदाताओं के लिए प्रणाली को अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने की उम्मीद है।’’
पिछले साल के फॉर्म की तरह, आईटीआर-1 में भी व्यक्तियों से यह जानकारी मांगी गई है कि क्या उन्होंने अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये से अधिक का खर्च किया है। इसमें यह भी जानकारी मांगी गई है कि क्या करदाता ने पिछले वर्ष के दौरान बिजली की खपत पर एक लाख रुपये से अधिक खर्च किया है।
आईटीआर फॉर्म 1 (सहज) और आईटीआर फॉर्म 4 (सुगम) सरल फॉर्म हैं जो बड़ी संख्या में छोटे तथा मध्यम करदाताओं की जरूरतों के अनुरूप हैं।
‘सहज’ को ऐसे व्यक्ति दाखिल कर सकते हैं, जिसकी वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक हो और जो वेतन, एक मकान की संपत्ति, अन्य स्रोतों (ब्याज) तथा कृषि आय से 5,000 रुपये प्रति वर्ष तक की आय प्राप्त करता हो।
‘सुगम’ को ऐसे व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) और कंपनियों(सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) के अलावा) द्वारा दाखिल किया जा सकता है, जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक हो और व्यवसाय से और कोई पेशेवर आय हो।
आईटीआर-2 उन व्यक्तियों और एचयूएफ द्वारा दाखिल किया जाता है जिनकी आय, व्यवसाय या पेशेवर लाभ या प्राप्ति से नहीं होती है।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के कर साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि अब तक पूंजीगत लाभ के अंतर्गत आने वाले वेतनभोगी व्यक्तियों को आईटीआर-2 फॉर्म दाखिल करना होता था। भले ही धारा 112ए के तहत निर्धारित सीमा के कारण पूंजीगत लाभ को छूट प्राप्त हो, जिसके परिणामस्वरूप पूंजीगत लाभ की प्राप्ति, प्रतिभूतियों के विवरण आदि सहित विस्तृत जानकारी की आवश्यकताएं होती थीं।
यह असुविधा आकलन वर्ष 2025-26 के लिए नए आईटीआर-1 फॉर्म से कम हो गई है। इसमें एलटीसीजी की प्रकृति की आय की जानकारी देने के लिए एक छोटा सा खंड शामिल किया गया है, जिस पर धारा 112ए में प्रदान की गई छूट सीमा के आधार पर कर देय नहीं है।
कर एवं परामर्श कंपनी एकेएम ग्लोबल के साझेदार (कर) संदीप सहगल ने कहा, ‘‘ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे विशेष रूप से शेयर और म्यूचुअल फंड से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पाने वाले वेतनभोगी करदाताओं को लाभ होगा।’’
सहगल ने कहा, ‘‘ यह बदलाव, कर दाखिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है जिससे यह छोटे निवेशकों तथा वेतनभोगियों के लिए अधिक सुलभ तथा कम बोझिल हो जाता है। इससे समय पर और सटीक अनुपालन को बढ़ावा मिलता है।’’
भाषा निहारिका रमण
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