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Monday, 18 November, 2024
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कपास उत्पादन में सुधार, विशेष किस्मों पर ध्यान देने की जरूरत: उपराष्ट्रपति

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कपास उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को विशेष कपास मसलन जैविक और टिकाऊ कपास पर अधिक देने का लाभ मिलेगा।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपने रोपाई के घनत्व में भी सुधार करना चाहिए जो केवल 5,000-7,000 पौधे प्रति एकड़ ही है। चीन और अमेरिका में प्रति एकड़ 50,000-1,00,000 से अधिक पौधे लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें कपास फसल के मशीनीकरण को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी आदानों से हमारी कपास उत्पादकता में सुधार होगा।’’

उपराष्ट्रपति ने ये टिप्पणी यहां भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई)-कपास विकास और अनुसंधान संघ (सीडीआरए) के स्वर्ण जयंती समारोह में की।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि जब हम लगभग 20 लाख गांठ एक्स्ट्रा-लॉन्ग स्टेपल (ईएलएस) कपास का उपभोग करते हैं, हम केवल पांच लाख गांठ का उत्पादन करते हैं और अमेरिका और मिस्र जैसे देशों से शेष का आयात करते हैं। मैं यह भी समझता हूं कि टिकाऊ कपास और जैविक कपास की मांग पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही है। आगे जाकर, भारत को ईएलएस कपास, जैविक कपास और टिकाऊ कपास जैसे विशेष कपास पर अधिक जोर देकर कपास क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी स्थिति में आना चाहिए। सीडीआरए को कपास उत्पादकों के साथ काम करना चाहिए और कपास की इन किस्मों को उगाने के लाभ के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।”

नायडू ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि दुनिया में सबसे बड़ा कपास उत्पादक (23 प्रतिशत) होने और कपास की खेती के सर्वाधिक रकबे (विश्व क्षेत्र का 39 प्रतिशत) के बावजूद, भारत में प्रति हेक्टेयर उपज 460 किलोग्राम के निचले स्तर पर है जबकि दुनिया का औसत उत्पादन स्तर 800 किलो प्रति हेक्टेयर है।

इसे हल करने के लिए उन्होंने रोपण घनत्व में सुधार करने, कपास की फसल का मशीनीकरण करने और कृषि विज्ञान अनुसंधान पर जोर देने का आह्वान किया।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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